Vaishali Shringi  
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Joined 2 March 2020


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22 JAN 2022 AT 9:16

बैठें हैं हम आज भी
हिल मिल सारे घर वाले
एक आहट जिसको सुनने को
सबके श्रुति व्याकुल हैं....

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18 JAN 2022 AT 21:01

शिक्षित व्यक्तियों के बीच, मैं ख़ुद को
अशिक्षित, नज़र बस आता हूं
जब सब कुछ दिखाई देकर भी
मैं, मूर्ख बनाया जाता हूं!

और किस, वर्तमान का हिस्सा हूं मैं
ना आज, समझ उसे पाता हूं
जब अपने अपनों बीच रहकर भी
मैं, पराया जताया जाता हूं!!

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14 JAN 2022 AT 15:22

तू रख हौंसला, ये देरी भी कटेगी
काबिल-ऐ-तारीफ़ होंगे सब,
तेरी अपनी भी एक पहचान बनेगी...

और ये ज़माना है,
जो हर किसी की बातें बनाने में, मशगूल है
तू बस सब्र कर ज़रा सा
तेरी बारी आने पर, यहां सबकी बोलती रुकेगी!!

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8 JAN 2022 AT 17:44

ख़ामोशी भी अपनी
एक बुलंद आवाज़ लिए बैठी है

कोई सुने तो समझे
यही एक आस लिए बैठी है

और छेड़ो ना तुम
इस ख़ामोशी को, यूं पत्थर मार

समुंदर में लहरें अभी भी
उदासी की अट्टहास लिए बैठीं हैं!!

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6 JAN 2022 AT 20:01

ये बातें ही तो हैं,
जो अब तलक दर्मियां हैं हमारे...
वरना इश्क़ तो, कबसे रूठा बैठा है!!

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4 JAN 2022 AT 10:18

सलाहकारों से भरी पड़ी है ये सारी दुनिया,
कोई जिए इक भी दिन, हमारे जैसा...
तो कुछ बात बने!!

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23 DEC 2021 AT 19:25

कि... राधे मान मैं ख़ुद को अब,
कान्हा में बस जाऊंगी

मीरा की परछाई बन,
भक्तन कोई बन जाऊंगी

और प्रियसी बनूं या वैरागी बनूं,
प्रियसी बनूं या वैरागी बनूं...
कहां रत्ती भर भी खलता मुझको

बस कान्हा कान्हा बोल यूं ही
कान्हा में मिल जाऊंगी!!

जय श्री कृष्णा 🙏

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23 DEC 2021 AT 16:23

ताउम्र अपनी, तुम्हें चाहना है मुझे
मगर ज़रूरत के लिए नहीं, मोहब्बत के लिए!!

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22 DEC 2021 AT 10:05

ज़रूरी नहीं, कि हर ज़रूरी बात
जो आपके लिए ज़रूरी है..
वो, उनके लिए भी ज़रूरी हो,
जो आपके लिए ज़रूरी हैं!!

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21 DEC 2021 AT 23:05

यादें रखीं हैं तुम्हारी, कुछ मेरे पास
सहेज रखीं हैं मैंने, कबसे ही
बिछड़े हुए तो, इक अरसा बीत गया
जैसे कल की ही बात हो, तबसे ही

कुछ मुलाकातें कैद हैं, ज़हन में आज भी
ताज़ी हैं तब थी, वैसी ही
वादे तो सारे, बातें ही रह गई
जैसे तू आज है मेरे पास, वैसी ही!!

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