तू अगर मिल सके किसी हसीन शाम से,
तो आते वक्त साथ वो हसीन शाम लाना।
थक चुकी हूं इस जमाने की बंदिशों से,
तू एक शाम मिल कर मुझे खुद से मिलना।।
🤍✨-
vaishali parashar
(Vishu Parashar)
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सब "शब्दों" का खेल है साहब
दर्द भी इसी में पाया "सुकुन" की तरह!
..मेरे लफ़्ज़ मेरे एहसास।
Ins... read more
दर्द भी इसी में पाया "सुकुन" की तरह!
..मेरे लफ़्ज़ मेरे एहसास।
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Joined 7 July 2018
20 OCT 2024 AT 21:17
10 OCT 2024 AT 22:23
शायद मेरा तुम्हें खो देना,
खुद को पा लेने के लिए जरूरी था। 🖤-
3 AUG 2024 AT 18:37
मैं उस मुकाम पर पहुंच कर भी क्या करूंगी,
जिस मुकाम का मुकद्दर तू ना हो सका ! 🖤-
20 SEP 2023 AT 22:15
ना जाने किताब के किस पेज पर आकर रुक गई है जिंदगी,
ना पढ़ा जा रहा है, ना पलटा जा रहा है!-
4 JUL 2023 AT 23:07
मैंने देखा है
गहरे घाव सहने वाले लोग,अकसर खामोशी से पेश आते है !-
20 JAN 2023 AT 21:55
महोब्बत का एक चिराग ढूंढ रही हूं!
मैं तुझे खो कर,
फिर से तेरा सुराग ढूंढ रही हूं!!-
5 OCT 2022 AT 10:21
भगवान हमारी जिंदगी में कुछ बुरे लोग
हमारी जिंदगी को और अच्छा बनाने के लिए भेजते है!-