वैशाली सरोज पांडेय   (© वैशाली)
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इस मोड़ से जाते है
कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज़ क़दम राहें ।

~गुलज़ार
Joined 4 January 2019


इस मोड़ से जाते है
कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज़ क़दम राहें ।

~गुलज़ार
Joined 4 January 2019

होना तो यूं था कि शाम कहीं डूबते सूरज, सुर्ख़ होते आसमां के नीचे आपके शाने पर सर टिकाए हुए तमाम ख्वाहिशें उरूज होती, हाथों में हाथों की कसावट तेज़ होती, आपके होंठ मेरे जबीं पर जम जाते,
तो किसी सर्द रात में चांद के साए तले आपकी उंगलियां मेरी देह में फिसलती रहती ठीक वैसे जैसे ओस नई कोंपलों पर और मैं बारहां आपको देख कर गाती
तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिलमिल
तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंजिल
मैं हूं एक छोटी सी माटी की गुड़िया
तुम्हीं प्राण मेरे तुम्हीं आत्मा हो।

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इच्छाएं
रंग तितली खुशबू फूल
झरने और नदी...
वर्षा शीत बसंत
स्वप्नों की एक सदी...
.
क्षण भर का मौन
गूँजता प्रश्न
तुम कौन?
.
मृत इच्छाएं
आह!
इच्छाएं भी कभी मरी?
अट्टहास
मृत इच्छाओं के मध्य खड़ी
अंतिम इच्छा..।

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Do we enter this world once, or with each yearning's plea,
Like a phoenix rising, reborn with every desperate plea?

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पूर्व जन्म की
सुंदर स्मृतियों से आई
नवजात शिशु की
पहली मुस्कान
....




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चौका करती स्त्रियों को ज्वर नहीं चढ़ता
माथे का ताप भी चूल्हे की आँच है ।

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" मैंने पहचाना था गूॅंजते ठहाकों में होठों को फैला लेने की नाकाम कोशिशों के बीच
वो सूनापन जो तुम्हारी आंखों से झॉंकता रहा ,

मै बचा लेना चाहती थी भीड़ और साथ के बीच महीन अंतर को ।"

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अतीत छूटता नहीं
ना मिटता हैं
वर्तमान की जिल्द चढ़ी
किताब के दबे पन्नों में पड़ा रहता है
इस इंतज़ार में
की हल्की हवा हो
और हर पन्ना
फड़फड़ा उठे।

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हिमांशु ,


जब पहली बार तुम्हारा कॉमेंट पढ़ा था तब अजीब लगा था, मेरे जैसे पगलैठों को सीधा हंसने बोलने वाले लोग नमूने से कम नहीं लगते ,फिर किसी का सबके साथ इतना सहज होना और थोड़े ही दिनों में सामने वाले को अपने ही तरह कार्टून बना देना तो जैसे नवां अजूबा।
रोती सिसकती कविता के सामने दांत दिखा के
हंसना तुम्हारी ही खोज है पेटेंट करवा लो,

अपने नाम की सार्थकता बनाए रखी तुमने और हमेशा बनाए रखना..
तुम्हारे लिए इतना ही कह सकती हूं

" पतझड़ में सेमल का पेड़ हो बे तुम 🌺"

दुआ है बहुत बड़े गीतकार बनो वो भी अर्जित सिंह के बूढ़े होने से पहले पहले ..
खूब खुश रहो आबाद रहो गुनगुनाते रहो बाकी पगलाने का अनलिमिटेड वाउचर है ही तुम्हारे पास
जाते जाते जन्मदिन मुबारक हो
और हां, टेस्टीमोनियल लिखने में हाथ तंग है मेरा तो भूल चूक की माफ़ी।

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केश नयन अधर रंग रूप के नाम पर छली गई
तथाकथित सुन्दर लड़कियों ने प्रेम नहीं देखा...।

~वैशाली


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तुम्हारी स्मृतियों
को मिटाना ऐसा था..
जैसे..
दिसंबर की
कड़कती सर्द रातों में
कांपते हाथों से
मैंने आप ही उधेड़ दी हो
अध बुनी स्वेटर...।

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