काल की काली दीवारों पर लिख आया,
वो हर एक काव्य मेरा भारत था।
बदनाम गिया गया मैं लाख मगर,
मुझ पर लगा हर इल्ज़ाम भारत भारत था॥
अंग्रेज़ न समझ पाए मेरी कूटनीति का,
हर माफी वाला हिस्सा भारत था।
बंधन से आज़ादी कि हर मांग में मेरा,
आज़ाद मिट्टी का ख़्वाब भारत भारत था॥
देशद्रोह का कलंक लेके जीया हूं मैं,
जीती हुई सांस सांस में मेरे भारत था।
इतिहास क्या निर्दोष बताएगा मुझे,
मेरे रक्त के हर कतरे में भारत भारत था॥
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