इन सन्नाटों की भी अपनी कहानियाँ है...
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तू निर्गुण, तू ही निराकार है, तू सत्य है, तू ही शिव है,
यह बतलाने तुझको आया है.!
ख़ुद शिव, शंकर बनके आया है, तुझसे तुझ की बात करने,
यह आदि शंकर आया है.!-
काल की काली दीवारों पर लिख आया,
वो हर एक काव्य मेरा भारत था।
बदनाम गिया गया मैं लाख मगर,
मुझ पर लगा हर इल्ज़ाम भारत भारत था॥
अंग्रेज़ न समझ पाए मेरी कूटनीति का,
हर माफी वाला हिस्सा भारत था।
बंधन से आज़ादी कि हर मांग में मेरा,
आज़ाद मिट्टी का ख़्वाब भारत भारत था॥
देशद्रोह का कलंक लेके जीया हूं मैं,
जीती हुई सांस सांस में मेरे भारत था।
इतिहास क्या निर्दोष बताएगा मुझे,
मेरे रक्त के हर कतरे में भारत भारत था॥-
त्रिशुलधारी शंकर जसा, खडगधारी शिवराज बघा।
दुभाजताना म्लेंच्छास, शिव रुद्राची तलवार बघा॥-
२६/११
जो गोलियां चलती कई मासूमों पर,
वो गोलियां झेलीं आपने ख़ुद के सीने पर,
आतंकी संकट था जो वतन पर,
वो मिटाया आपने खेल के अपनी जान पर,
है आज नमी इन आँखों पर,
शीश झुका है "ओंबले जी" आज आपके नाम पर.!-