जरूरी नहीं की
हमारे बीच
प्रेम संबंध ही हो
उसका मुझ से प्रेम ना करना भी
मुझे उससे जोड़े रखता है
अपने मन का उसने कभी कहा ही नहीं
मान-मर्यादाओं पर हमेशा अपनी अड़ी रही
एक दूसरे के विलोम शब्द प्रेम और पीड़ा
अब एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए
दिन भर में होड़ पैसे कमाने की थी
रात को भी तेरा ख्याल नींद ना आने पर आया
टूटता हुआ प्रेमवेदना से
करहाता बहुत है पर अंत में
उसका चुप हो जाना
प्रेम का अंतिम रूप है
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