Vainkatesh Kumar   (Vainkatesh Singh)
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Joined 21 August 2018


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Joined 21 August 2018
4 MAY 2020 AT 16:35

धोखे से बर्बाद होती हमसाए से पुछा मैनें
मंजिल भूल यूँ गुजर क्यूँ रहे हो
बेझिझक थरथराए अधरों से कहा उसने
बेजान इंसान के रूह में रह कर घुटन सी होने लगी ।

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2 MAY 2020 AT 12:14

आशिक हो जाते विरान दुनिया का
मगर दिल को बहलाएं तो बहलाएं कैसे

तमाम कोशिश कर ली उलझनो से बचने की
मगर जो लगी है आग उसे बुझाए कैसे

छु तो लेता उसके जिस्म कब के
मगर पंडित मन को समझाएं कैसे

लबों पर पानी तो हरदम रहती है
मगर प्यास आगोश की बुझाएं कैसे

छु तो लेता उसके जिस्म कब के
मगर पंडित मन को समझाएं कैसे ।

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18 APR 2020 AT 7:55

यूँ जो हो रहे हैं हम बर्बाद
धीरे-धीरे
शायद आगोश में लेगी दुनिया की आग मुझे
धीरे-धीरे
मंजिल मिली नहीं राही भटक सा गया
शायद निकलेगी जान बिन आह मेरी
धीरे-धीरे
पहुँचा दो मुझे मेरे आशियाने में
शायद देख कर चमकेगी किस्मत मेरी
धीरे-धीरे।।

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9 APR 2020 AT 4:33

हो मज़हब कोई तुम्हारा
पर गूरुर दिल की हिंदुस्तानी हो

हो जिस्म तुम्हारा किसी भी घर का
पर रगों की रवानी हिंदुस्तानी हो

हो चाहे कोई तालीम तुम्हारे पास
पर तुम्हारा सोच इंसानी हो ।।

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27 JAN 2020 AT 15:26

Very few people has courage to
fulfill their dreams

Its only the courage who will decide
your destiny.

Its only the courage who will drive
you in each moment of your failure.



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22 JAN 2020 AT 16:30

जुनून हो तो असर दिखता है
चुके जो मुहब्बत में तो कसर दिखता है

हो सके तो रहो बचके दुनिया वालों से
चेहरे पर हसीं और आँखों में फरेब़ दिखता है ।

हुकूमत तो बहुत की अपने मन पर
जो बिछड़े तो उनकी कमी खलता है

दिन और रात एक से हो गए हैं
जो पलके गिरी तो हर स्वपन दिखता है

माना कि हम काम के नहीं हैं तुम्हारे
पर खाने में नमक ना हो तो हर स्वाद फीका लगता है।।

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31 DEC 2019 AT 13:23

Kuch yu bita ye saal
Kawabo ke bikharne se lekar
Akele kaate rasto tak

Aankhe chhipa kar chlne se lekr
Insult hoti har roj tak

Kuch yu bita yeh saal
Logo ke matalbi hone ke lekr
Akele hi manzil ke safar tak

Unjaan aashiyane se lekr
Kaamosh guzarti raato tak

Kuch yu bita ye saal
Tutati ummidon se lekar
Khaali jaati har koshis tak

Nafrat se bhare logo ke bich se lekar
Hr haar ke kasoorwar taak

Kuch yuh bita yeh saal
.... vainkatesh🖋

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30 DEC 2019 AT 10:44

जब हम बच्चे रहते हैं तो हमें हर बात की परवाह नहीं होती पर जैसे ही हम बड़े होते हैं
हर बात चुभती है।
लोगों के ताने हमारी नकामियों को नमक बना देती है जो बात बेबात हमारे जख्मों को सोने नहीं देती और हमे हर वक्त बेकार महसूस कराते रहती है।
कोई नहीं होता हमारे मुश्किल का सागिर्द ।
हमें खुद ही उठना होता है और लड़ना होता है ।

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12 DEC 2019 AT 19:11

Main motives of life:->

1.Move ahead whatever it takes from you.

2.At the end everything should be right
if its not, its not the end.

3.Being nice to everbody leads you nowhere.

4.Accept yourself.

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12 DEC 2019 AT 18:12

अकड़ और औकात पर पकड़ हमेशा मजबूत रखनी चाहिए ।

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