तेरे यादों के शहर के शोर में जो देखा तो वहां ना तुम थे ना मैं...
जब आयी अपने हृदय के गांव तो तुझे और खुद को वहीं खामोशी में वैसा ही बैठा पाया ।-
Here for writing and appreciating writes only...
Pleas... read more
खुबसुरत दिखने में और खुबसुरत होने में एक फर्क जो है तुमने उसे मिटा दिया ...
जैसे दिखते हो वैसे ही हो...
खूबसूरत ही नहीं खुबसुरती हो...
खुबसुरत ही नहीं खुबसुरती नजर आते हो...।-
तेरा यह रूप मुझे अपना कहे ना कहे...
मैं तोह तुझसे बन कर...
तुझमें रह कर...
फिर तुझमें ही मिलने वाला हूँ ...-
चाँद को देख जुगनूओ को भुला बैठी ,
जुगनूओ में खुशी ढूँढ कर उनको जला बैठी,
रोशनी देखी जो अनंत खुद में,
फिर खुद से मिल कर सब कुछ पा बैठी।-
Sometimes she thinks she's darkness but there'll be no light without darkness...
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तू है आज , तू थी कल , तू रहेगी कल भी...
काश ऐसा कुछ हो कि तुझमें मुझे सुकून मिल जाए...
ए खामोशी...।-
There will be glow on her face after him but there was glow because of him.
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गोपियों को जब छोड़ गए कृष्ण ,
तो लगे उन्हें उनके प्रेम अधुरे से ।
कृष्ण को तरसती रही गोपियां सब,
लेकिन थे उनमें वो पुरे से ।-
सुनो...
मैं और तुम...
हम ना अभी प्रेम में है , प्रेम नहीं है ।
हम अभी एक खुले आसमान में है
तुम उड़ना चाहते हो मेरे साथ मैं भी चाहती हूं
मगर तुम्हारे साथ में... ना तुम्हारे आगे ना पीछे...
तुम्हारे साथ में...
उसके लिए ना हम दोनों को हाथ बढ़ाना होगा...
क्योंकि अगर किसी एक ने ही बढ़ाया और दुसरे ने पकड़ा तो एक पीछे और एक आगे हो जाएगा ।
तो तुम मेरे साथ प्रेम में से प्रेम तक की इस उड़ान में आओगे ना।
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