श्री कृष्ण जन्माष्टमी
धूमधाम से ब्याह रचाया बहन देवकी डोली सजाई
देववाणी कंस ने सुनी सीधे काल कोठारी भिजवाई
सात पुत्र मारे कंस ने, कारागृह में पहरा और बढ़ाई ।।1।।
काली अंधेरी रात्रि आई जल थल नभ उमंगे लेहलाई
भाद्रपक्ष अष्टमी की रात्रि बंधन टूटे कड़ियां फिसलाई
श्याम सुंदर तेज बालक देख माता पिता दोउ हर्षाई ।।2।।
पहरे हटे,सैनिक सोए पूरे मथुरा पर नींद सी थी छाई
सर पर टोकरी,बालक को रखे,वर्षा होती बहुत भाई
चरण पखारे यमुना,करे गोकुल जाने का रास्ता खाली ।।3।।
नन्द की यशोधा के घर में हुई थी अदला बदली भारी
पूरे गोकुल उत्सव मनाए,मंगल गीत गाकर देते बधाई
माखन,मिसरी लड्डू मिठाई बांटे नन्दलाल ले बधाई ।।4।।
"गुरु प्रशस्त" कहे श्याम वर्ण,सुंदर गाल,चंचल नेत्र,घुंघराले बाल
"वैभव" जन्मे कन्हैया मन को मोहे,प्रेम से सभी लड्डू गोपाल बुलाए ।।
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🔅*रक्षाबंधन*🔅
दुनियां में कई से होते है रिश्ते
खट्टे मीठे भावों से भरे है रिश्ते
रेशम के धागों से बंधते है रिश्ते ।।1।।
प्यार सम्मान सामंजस के है रिश्ते
लड़ झगड़कर एक होने के है रिश्ते
हाथों से होकर विश्वास के है रिश्ते ।।2।।
हर नर-नारी के रक्षा बंधन के है रिश्ते
हर जीव दया के रक्षा बंधन के है रिश्ते
राष्ट्र, धर्म, गुरु की रक्षा बंधन के है रिश्ते ।।3।।
"गुरु प्रशस्त" कहे एक धागे में गुत्थे रहो मोती सम मने रक्षाबंधन
"वैभव" दूर रहो या पास जड़ो से अटूट जुड़ कर मनाए रक्षाबंधन ।।
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🎖️कारगिल विजय दिवस 🎖️
नमन है मतवालों को मां भारती के सच्चे लालो को
जन्मभूमि की आन बचाने वीरों के प्रचंड पराक्रम को
शत्रु रक्त से पर्वत जमाकर शौर्य पताका फहराने को
विजय दिवस पर नमन है सभी वीरों को।।1।।
छद्म वेश धर शत्रु दल घात लगाकर,लांघे सीमा को
बारूद अंगारे आयुध लाएं,पीठ पर छुरा घोंपने को
दुष्कर रणक्षेत्र चुनकर आया, पार न सका वीरों को
विजय दिवस पर नमन है सभी वीरों को ।।2।।
नमन वीरों को हिमगिरि पर्वत को शौर्य से झुकाने को
नमन प्रलयंकारी पहरी को, जो रक्त से खेले होली को
नमन उन अंतिम सांसों को, झुकने न दिया तिरंगे को
विजय दिवस पर नमन सभी वीरों को ।।3।।
"गुरु प्रशस्त"कहे श्रद्धा सुमन अर्पित करो वीरों की है गौरव गाथा
"वैभव" संग जग सारा गाता कारगिल विजय दिवस की गौरव गाथा ।।-
🚩भगवा ध्वज 🚩
उगते सूर्य सा तेज,ढलते सूर्य की आभा है भगवा
बलिदानों के त्याग,तपस्या उनकी प्रेरणा है भगवा
बोध ज्ञान,दिव्यता उच्चता,विकास पतन है भगवा
मन प्रफुल्लित होए जब फेराएं भगवा ।।1।।
राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर का रंग होता भगवा
जीवन का आधार, शक्ति साहस का अंग भगवा
जीवन में अर्पण ,दर्पण ,समर्पण का भाव भगवा
मन प्रफुल्लित होए जब फेराएं भगवा ।।2।।
व्यक्ति का चारित्र से राष्ट्र निर्माण का रंग भगवा
शील सौंदर्य सदाचार देश एकता का रंग भगवा
धर्म सनातन, संस्कृति, संस्कारों, का रंग भगवा
मन प्रफुल्लित होए जब फेराएं भगवा ।।3।।
"गुरु प्रशस्त" कहे आत्मोन्नति का संदेश देता भगवा ध्वज
"वैभव"अखंड राष्ट्र का मान सम्मान,पहचान है भगवा ध्वज ।।-
चंदा और समर्पण में अंतर
अपनी निधि किसी निश्चित परियोजना में देना चंदा
इच्छा और स्वार्थ त्याग कर समर्पित करना समर्पण
निधि को निश्चित विशेष उद्देश्य हेतु जुटाना सो चंदा
बढ़े उद्देश्य के प्रति व्यापक भाव रखना ही समर्पण ।।1।।
सार्वजनिक, निजी हित कार्य हेतु धन संग्रह है चंदा
धर्म, गुरु,देश,राष्ट्र के प्रति त्याग का भाव समर्पण
सामाजिक आंदोलन,आयोजन के लिए संग्रह चंदा
कृतज्ञता,सद्भावना से प्रेरित निधि त्याग है समर्पण ।।2।।
"गुरु प्रशस्त" कहे जन सहयोग,सेवा,उत्थान के लिए संग्रह चंदा
"वैभव"निज के लिए हृदय से समर्पित श्रद्धा भाव करना समर्पण ।।-
🗳️सामाजिक चुनाव🗳️
तीन,पांच साल में आता समाज प्रतिनिधि का चुनाव
शतरंज की बिछात बिछाए है किसको लड़ाना चुनाव
अपनी पैंठ बनाए रखने करवाते है सामाजिक चुनाव ।।1।।
कौन किस योग्य ये तय होता था पहले बिना चुनाव
घर जाकर मान मनाकर गद्दी में बिठाते बिना चुनाव
संगठित हो चयन करते नहीं होते सामाजिक चुनाव ।।2।।
मैं जन-सेवक,सामाजिक कार्यकर्ता लड़ूंगा मैं चुनाव
उम्मीदवारों की लंबी सूची लोकतंत्र है होने दो चुनाव
मतभेद से मनभेद का दुष्परिणाम सामाजिक चुनाव ।।3।।
हर वर्ग का प्रतिनिधि चयन मंडल में न होंने दो चुनाव
सुलझे हुए अनसुलझों को समझाए न होने दे चुनाव
समय की हानि अर्थ का भार होता सामाजिक चुनाव ।।4।।
"गुरु प्रशस्त" कहे संयमित,कर्तव्यनिष्ठ,व्यक्ति का हो चयन या चुनाव
"वैभव" सद्भाव,दूरदृष्टी वाले व्यक्ति का चयन या हो सामाजिक चुनाव ।।
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ये तीन साल
घड़ी में टिक टिक सम होते गुजरे हैं ये तीन साल
कुछ मनोरम,कड़वे-मीठे,तजुर्बे दे गया तीन साल
एक आशा,एक विश्वास, इम्तिहान थे तीन साल ।।1।।
नई उमंग ओ उत्साह से किए हमने काम पहले साल
सिद्ध भक्ति,गुरु अर्जाव का आशीष मिला पहले साल
कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे हुए काम गुजरा पहला साल ।।2।।
श्री विद्यागुरु का मिला था वरदान आया दूसरा साल
शून्य से अनंत यात्री अर्हम गुरु का सानिध्य दूसरे साल
प्रणम्य गुरु की ज्ञान,ध्यान,भक्ति में बीतता रहा दूसरे साल ।।3।।
खुशियों से भरा हर लम्हा,आशीष पाते रहे पूरे साल
काल का वज्रपात विद्यागुरु हुए अंतर्ध्यान इसी साल
दर्शन को चले खोए तीन यार हम सबने इसी ही साल ।।4।।
बहुत खोया बहुत पाया अब आया ये तीसरा साल
थके हम,ओझल राहें थी,आसान नहीं लगा ये साल
समय सिंधु बने तारणहार,हर्षित थे सभी इसी साल ।।5।।
सरल सौम्य ममता मई ऋजुमति माँ आई इस साल
छोटे छोटे आयोजन से ऊर्जा भरी हममें इस साल
भाग्य उदय सानिध्य मिला समय सिंधु का इस साल ।।6।।
नेमी प्रभु का बड़ा परिवार तीर्थ बनेगा बड़ा विशाल
गगन बिहारी श्री शांतिनाथ भगवान विराजे नए स्थान
आशीष दे गुरु जी करे बिहार यू गुजरे हमारे तीन साल ।।7।।
"गुरु प्रशस्त" कहे कभी हसीं कभी आंसू सबको साधना नहीं आसान
"वैभव" सामाजिक पद लेना से पहले करना तुम बहुत सोच विचार ।।-
📵 डिजिटल उपवास 📵
बाहरी सुंदरता बढ़ाने के लिए होते कई संसाधन
अन्दर की सुंदरता बढ़े स्वयं करना पड़ते साधन
विषों से मुक्त होने,डिजिटल उपवास मात्र साधन ।।1।।
जीवन में नया रंग भरने,तन मन को सहजने
तनाव,चिंता हरने,अपनी नींद में सुधार लाने
नीली रोशनी से दूर डिजिटल उपवास साधन ।।2।।
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपना ध्यान बढ़ाने
आपने कार्यों में क्षमता अनुरूप परिणाम पाने
नित नए आयाम पाने डिजिटल उपवास साधन ।।3।।
उन्नत सामाजिक कौशल,अपना संपर्क बढ़ाने
बेहतर मनोदशा,बेहतर मानसिक स्वास्थ पाने
उदासी,अवसाद हटाने डिजिटल उपवास साधन ।।4।।
"गुरु प्रशस्त" कहे स्क्रीन देखने का स्वयं समय निर्धारित करना
"वैभव" जीवन सहज,सजग,स्वस्थ रखने डिजिटल उपवास साधन ।।-
☕एक प्याली चाय☕
सुबह की धुंध,हो या भोर की मीठी खिली धूप
गिरती हुई ओस हो,या बूंद बूंद बरसता जल
एक प्याली चाय हर मौसम में हमे जगाए ।।1।।
दूध पानी के साथ पत्ती की महक तड़प बढ़ाए
कूटी इलायची,संग चीनी चाय का स्वाद बढ़ाए
एक प्याली सुबह की दिन भर हमे चलाए ।।2।।
काली,हरी,सफेद,पीली,हर्बल चाय मन लुभाए
अदरक,तुलसी,मुलेठी,सब चाय की शक्ति बढ़ाए
एक प्याली चाय कई रोगों की दवा बन जाए ।।3।।
चाय पे चर्चा,चाय पे झगड़ा,चाय सबको मिलाए
बादशाही चाय झोपड़ी से महलों तक बनाई जाए
एक प्याली चाय मेहमानों के मन को भाए ।।4।।
"गुरु प्रशस्त" कहे आतिथ्य,मैत्री का प्रतिनिधित्व करती चाय
"वैभव" सामाजिक रूप से कैसे बनो यह पाठ सिखाती चाय ।।-
🎊परिवार दिवस🎊
एक एक मोती को गूंथ कर बने आकर्षक हार
रिश्ते,प्यार की डोरी से बंधा बने सुंदर परिवार
मोती हार सम होता परिवार ।।1।।
दादा दादी की छांव तले,बढ़ो का मिलता है प्यार
ताऊ ताई चाचा चाची,बुआ से बने सुंदर परिवार
वट वृक्ष सम होता परिवार ।।2।।
खुशियों से आंगन खिले,खत पट होती कई बार
अटूट स्नेह और सामंजस से,सुलह होती हर बार
प्रेम पूर्ण सम होता परिवार ।।3।।
गलती,सही राह दिखाए,सुख दुख में रहे एकाकार
प्रेम बड़े समृद्धि बड़े,छोटे छोटे पल भी बने त्योहार
कुबेर संपत्ति सम परिवार ।।4।।
"गुरु प्रशस्त" कहे नियम सभी लो जरूर आज एक सार
'वैभव' मिलोगे दिन में एक बार सभी छोटा या बढ़ा परिवार ।।-