हम तुम्हें क्या शहर घुमाएंगे,
हमने गलियों में ख़ुद को खोते देखा है,
मुझे चुप कराने वालों जाओ, ज़रा पूछो,
मेरे दोस्तों ने मुझे किस क़दर रोते देखा है,
मुझे नींद के फ़ायदे गिनाने वाले ज़रा ये बता,
तूने कब मुझे सोते देखा है?
होने को तो कुछ भी हो सकता है, मगर
तुमने कब मुझे उसका होते देखा है?-
बेख़बरी में वे गली, रास्ते व नुक्कड़ नाकाम हो गए,
एक दूरी से आने वाली तेरी खनक सुनसान हो गए,
जहां से कभी सब कुछ देख लिया करता था,
आज आंखों को लाख टटोलने के बाद भी,
एक परछाई के दिखने की उम्मीद तक नज़र नही आती...।-
सोच के निकला था कहने को ये बात,
की,
नीलकुरिंजी सरीखे कपड़े में लिपटी तुम,
जब धीमे-धीमे अपने कदमों से हम दोनों के बीच के फासले को कम कर रही थी,
आमतौर पर बक-बक करने वाला मैं, मौन था,
मानो "मिस्र की हेलेन" साक्षात सामने,
और उसपे मदहोश करने वाली मोगरे की खुशबू,
इस कदर दीवानगी बरसा रही थी,
की कद्रदान के साथ-साथ आसपास खड़े जाहिलों का भी भला हो रहा था,
और गहरी आंखों का वर्णन तो अत्यंत कठिन है,
क्योंकि जो उस रोज डूबा था, आज तक बाहर आने की कोशिश न कि, न आगे इच्छा है.....।
("स्मरण और स्मृति" से मोहब्बत, एक अनूठा एहसास)
(उस रोज की घटना है जब घर आने में देर हो गई थी उनको)
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जब दुनिया के साथ साथ अपने भी आपको कमज़ोर समझने लगें तब आपका जीतना बहुत ज़रूरी हो जाता है।
Thank you Deepak Sir for this reminder...-
She came while whispering with the winds and I wished to come in her way,
Her elegant curly glossy heavenly plaits rolled down her cheeks like a creeper on the walls of my village,
She uttered something uncanny but still I went crazy by undecoding it,
I know she is not mine but still I have the pleasure to be in her vicinity,
I can't coerce her to be mine as her denial is my novel appetite.....-
ज़ुल्फों को सुलझाती उंगलियों से कभी आह नही आई,
मेरी शायरी सुनते कभी तेरे होठों से वाह नही आई,
पन्नों पर तुम्हे उतार उन्हें बर्बाद कर दिया मैनें,
औरों की तरह मैनें भी भरपूर लानत कमाई।— % &-
The essence of being "I am the best" is anti-fantastic & excellently bitter.....
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