वो चहकती तबाही सा,मैं सड़क सुनसान प्रिए
उसकी बाते होशमंद सी, मैं बालक नादान प्रिए
उसकी मुस्कान बारिश फुहार सी,मैं बंजर जीवान प्रिए
"जब-जब सोचू उसके बारे में, चहरे पर आजाए मुस्कान प्रिए"
उसकी बोली बुलेट ट्रेन सी, मेंरी गाड़ी गुमनाम प्रिए
वो चुरू की तेज धूप सा, मैं मथुरा की शाम प्रिए
वो सिद्ध,अटल, वक्ता प्रखर, मेंरे लडखड़ाए ज़ुबान प्रिए
"जब–जब सोचू उसके बारे में, चहरे पर अजाए मुस्कान प्रिए"
वो दिल्ली की तंग ट्रैफिक सा, मैं NH10 सुनसान प्रिए
उसकी कहानियां पंचतंत्र सी,मेंरी कोरी आहवान प्रिये
वो चमकते बॉलीवुड सा, मैं लड़की गुमनाम प्रिए
जब-जब सोचू उसके बारे में, चहरे पर अजाए मुस्कान प्रिए"
वो इन्वेस्टर शार्क टैंक सा, मैं उद्यमी बचकांड प्रिए
उसकी वाणी जलप्रपात सी, मैं वाणी विश्राम प्रिए
वो सफल सीस महल सा, मैं इनविजिबल प्राण प्रिए
जब-जब सोचू उसके बारे में, चेहरे पर अजाए मुस्कान प्रिए
जब-जब सोचू उसके बारे में,चेहरे पर अजाए मुस्कान प्रीए
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