उसके लिए मैं महेज एक पन्ना
मेरे लिए वह पूरी किताब था
एक बूंद जैसी मैं
वह पूरा सैलाब था
मैं एक किस्सा उसकी कहानी का
मेरी कहानी का वो खास किरदार था
उसके लाखों दोस्तों में एक नाम मैं
उसके बिना वह रिश्ता मुझमें कहीं गुमनाम था।
हजारों लाये उसने हमारे बाद
सबका हो जाना शायद उनके लिए आम था।
– वैभवी-
... read more
मैं चुप हो जाऊ तो बस
उनका कहना काफी है
साथ रहे भी ना
उनका एहसास होना काफी है
बात भी ना हो बस
वो हाल पुछले काफी है
हर बात बताएं न
बस सच्चे रहे काफी हैं
बोलके ना सही हरकतों से
प्यार जताएं काफी हैं
हो लाखो आशिक उनके वो
हमसे मोहब्बत करें काफी है
वो चाहे तो जमाना आजमाले
आखिरी बस हमारे रहे काफी हैं!!!-
अब कोई उम्मीद ही नहीं उनसे
के वो लौट आएंगे..
देख अनदेखा किया जिन्होनें अश्क को
वो क्या खामोशी समझेंगे...
बातों का मंजर गुजर गया
अब खामोशी दस्तक दे रही है...
हमारी शरारत तो मानो सब लोगो ने छीन ली है..
गैरो से क्या जतायेंगे दास्तान
जब अपने ही सुन न पाए
आंख कान होकर भी
अनसुने हम रह गए
हर बार उनसे खिलोनो की तरह खिलवाये
वो तो बड़े हुए वक्त के साथ
ना जाने खिलौने कहां फेक आए...
-राजवैभवी-
वो अभी दूर हुए है
या पास कभी थे ही नही...
वो अब झूठ बोल रहे है
या कभी सच बोले ही नही...
वो अभी फिरसे बिगड़ रहे है
या कभी सुधरे ही नही...
वो बदलने लगे है
या कभी बदले ही नही...
वो दुनिया को हर बात बताते रहे लेकिन
शायद हम उनकी दुनिया मे कभी आये ही नही 🙂
--वैभवी(17.05.22)
-
माशुका के आँखो से तो सभी पीते है
मोहब्बत मे तो सभी शराबी
होते है..
इक इश्क़ ऐसा किया जाए तो हर नशा छुड़ाये
उसकी एक नज़र मे आपका सारा नशा उतर जाए💓
---वैभवी-
नफरत..
आयने मे दिखा एक शख्स..
बिलकुल अंजान सा
कुछ बदनाम सा, कुछ गुमनाम सा..
बदल गया या बदलाया गया है
गलत था या गलत बनाया गया है..
हैरान परेशान खडा है ऐसे
जैसे कभी खुद से ही ठुकराया गया है..
दिल मे अपनी गलतियो के मलाल लेके,
मुस्कुराता है जुबान पे लाखों सवाल लेके...
ऐसी तो नही थी उसकी फिदरत,
देख ऐसे खुदको वो खुदसे ही कर बैठा नफरत!!!
--- वैभवी-
एक वक़्त ऐसा भी आयेगा
मै इंसान अच्छा नही हु तुम्हे हर कोई बताएगा..
उस वक़्त तुम अपने आँखे खुली रखना..
कानों को बंद कर हमे नज़र से परखना...
मै अच्छा कल भी नही था..
पर बुरा आज भी नही हू...
ये जमाना तो क्या बोलता ही रहेगा...
उस वक्त तुम बस अपनी दिल की सुनना..
---वैभवी-
आजकल कुछ ज्यादा ही सोने का इरादा रहता है. ..
बंद आँखो मे तेरा चेहरा ही सदा रहता है...
किस्मत कहा ऐसी की तेरा चेहरा देखके उठुं..
किसी और शहर तेरा और दूसरे शहर मेरा सवेरा होता है...
चंद मुलाकातो मे ज़िंदगी समाई..
वो जो राते साथ मे गुजारी..
ढूंढती रही नज़र तुम्हे इन अंधेरो मे..
पर काली रात मे तेरी परछाई भी न नज़र आयी..
चकोर जैसे हालत हुई है मेरी...
एक बार देखने के लिए हम तरस जाते...
क्या किस्मत होती अगर साथ मे जो हम रह पाते..
कुछ यादे है तुम्हारी उन्ही के सहारे दिन का गुजारा हो रहा है..
ये दिल पल पल बस तुझे पुकार रहा है ..
मेरे बिना मै जो रहने लगी हू..
मेरा हिस्सा जैसे तेरे साथ विदा हो गया है..
कुछ ऐसा करिश्मा कर ऐ खुदा..
एक ही सवेरा आंगने मे आये हमारे सदा..
करीब रख उसे मेरे
साथ निभाऊँगी हमेशा उनका
ये आपसे पक्का वादा...
---वैभवी(12/11/21)-
यही होता हैं अक्सर...
हमेशा लोग जाते हैं हमसे मुकर
रुख़ से जान ना पायेंगे आप
लेकीन यें ऑंखें तों आती है भर
के ना जता तू इतना प्यार हमें
हम बूरे है इस कदर
खुद से तक ना ईश्क़ कर पाये
यहि होता हैं अक्सर..
---वैभवी
-
Taalash hai Uski Jiske Aankho me sirf Hum ho..
Talash hai Uski Jiske jaane se Aankhe bhi num ho..
Talaash hai Uski jo dur jane par hath thame
Talash hai Uski jo hamko sirf apna jane..
Talash hai Uski jo jarurat par Sath rahe..
Talash hai Uski jo sab kuch samjhe wo bhi Bina kahe
Talash Hai Uski jo Hamari manzil bane
Talash hai Uski jo har raah me humrahi rahe...
---Vaibhavi-