Vaibhav Yaduvanshi   (V@iBH@V)
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अधूरी दास्तान व्यक्त करती एक किताब हूं मैं,
अल्फाजों से भरपूर मगर खामोश जुबान हु मैं।।
Joined 16 June 2019


अधूरी दास्तान व्यक्त करती एक किताब हूं मैं,
अल्फाजों से भरपूर मगर खामोश जुबान हु मैं।।
Joined 16 June 2019
2 SEP 2022 AT 22:47

ग़रीब लहरों पे पहरे बिठाये जाते हैं, समन्दरों की तलाशी कोई नहीं लेता...
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में, इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए.

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28 AUG 2022 AT 9:52

कभी चल कर तेरे क़रीब, रस्ते भी आएंगे

न हो ग़मज़दा इन पतझड़ों से अय बागवां,
बची हैं गर शाखें, तो फिर से पत्ते भी आएंगे

समय का चक्र तो घूमेगा अपने हिसाब से,
आये हैं बुरे दिन, तो कभी अच्छे भी आएंगे

न हो उदास देख कर वीरानगी गुलशन की,
परिंदे बनाने नीड़ अपना, फिर से भी आएंगे

न छोड़िये विटप की परवरिश का सिलसिला,
आज आये हैं फल खट्टे, कल मीठे भी आएंगे

ज़िन्दगी के इस मेले में आएंगे लोग कैसे कैसे,
गर आएंगे कभी शातिर, तो फ़रिश्ते भी आएंगे।।
(शांती स्वरूप मिश्र)

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26 JUN 2022 AT 22:12

कभी यूं ही भीगा लेता हूं पलकें
कभी हौले से मुस्कुरा देता हूं..
इन दूरियों की तीखी धूप में
मैं तेरी यादों के घने बरगद की पनाह लेता हूं.…

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22 JUN 2022 AT 21:08

अपना अपना रास्ता है कुछ नहीं
क्या भला है क्या बुरा है कुछ नहीं
कहने वाले अपनी अपनी कह गए
मुझ से पूछो कुछ सुना है कुछ नहीं ....

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29 MAY 2022 AT 21:37

तुम्हारा मिलना क्या जरूरी था
चलो मिल गए कोई हर्ज नहीं
फिर मिल कर बिछड़ना जरूरी था

जब तुम्हारे बाल लहराते हवा में
उन जुल्फों में उलझना ज़रूरी था

जब तुम घूर कर देखा करती थी
क्या उन आंंखों में पानी था
तुम चली गई थी बिन एक बार पलटे
तेरे क़दमों के निशान दुढ़ना जरूरी था

जाते हुए अपनी यादें छोड़ कर चली गई
फिर मेरा तेरी यादों में रोना जरूरी था

साथ रहना नहीं था तो बता देते
इस तरह चले जाना ज़रूरी था

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29 MAY 2022 AT 21:11

I miss you.
No, let me correct that, I miss the old you. I miss the old you that cared about me And the old you that would treat me so well. The old you that would talk to me every day and always have me smiling. I miss the old you that made me smile..

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29 MAY 2022 AT 20:53

साथ तुम हो तो अर्थ हूं
बिन तुम्हारे व्यर्थ हूं, निरर्थ हूं....

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9 SEP 2021 AT 7:19

हासिल-ए-ज़िंदगी
हसरतों के सिवा
कुछ भी नहीं..
ये मिला नहीं, वो किया नहीं
ये हुआ नहीं, वो रहा नहीं..

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3 SEP 2021 AT 13:43

कर लो बात..
क्योंकि जिनसे बात होनी थी पर हो नहीं पाई,
मिल लो उनसे..
क्योंकि जिनसे मुलाकात होनी थी
होते होते रह गई,
सांस की डोर कच्ची हैं
ना जाने किस करवट टूट जाए ।
वक्त कम है.. और वक्त का भरोसा उससे भी कम है

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29 AUG 2021 AT 23:26

तुम्हारी खिड़की से जितना दिखता है..
वह सारा का सारा आसमान नहीं है,
तुम जितने लोगों से अब तक मिले हो..
वह सारी की सारी दुनियां नहीं है,
तुम जो सब अब तक देख चुके हो..
वह पूरी की पूरी फिल्म नहीं है,
जो तस्वीर जिंदगी की अच्छी नहीं हैं
उसे बदलने के लिए..
तुम्हें अभी और चलना है..
तुम्हें अभी और देखना हैं..

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