Vaibhav Sharma   (Troy)
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Joined 5 November 2018


Joined 5 November 2018
10 APR AT 23:21

दशकों भर की बातें और कुछ अनसुनी आवाज़ें
ना जाने कैसे वक्त गुज़ारती हैं
कुछ उम्र दराज घरों की सिकुड़ती दीवारें
सिकुड़ती चार दीवारें !!!!

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2 MAR AT 0:20

हो कहीं लहरों पे सवार या किसी गुज़रती हवा का इंतज़ार
बहे किस दिशा में
है पूछती
बिन मांझी की नाव
एक बिन मांझी की नाव !!!!

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10 FEB AT 18:30

अपने हिस्से का आसमां देख
ग़ैर समंदर में गिरती हैं लहरें !!!!

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10 JAN AT 23:19

आंखों भर ख्वाहिशें जगाता
सुनो कुछ गुनगुनाता है टूटता तारा !!!!

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7 JAN AT 2:53

धुंधली बातों की चहलकदमी है
दो आंखें नम हैं इधर भी कुछ आंखें नम हैं उधर भी !!!!

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10 NOV 2023 AT 3:57

चौतरफा रस्तों के मेले में
गुमशुदा है दिल मेरा !!!!

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5 NOV 2023 AT 2:04

जागते सवेरों में जमीं ओस की सफेदी
हवाओं में तैरती रातें थीं
इस छोटी सी दुनिया में
ऐसा एक ठिकाना था कहीं
ऐसा एक ठिकाना था कहीं !!!!

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26 SEP 2023 AT 3:06

हो तालाबी जहां से रूबरू
बेदम काग़ज़ की कश्ती चले बर्फीली सैर पर कहीं !!!!

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3 AUG 2023 AT 16:09

कभी सोच में कभी होश में
तैरते हो तुम कहीं तैरते हैं हम कहीं !!!!

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20 JUN 2023 AT 8:30

है डरा हुआ नाकाबिल दिल
सोचे तुझको क्या पूछे खुदसे क्या !!!!

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