vaibhav rathore   ("V" Aarush)
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Joined 13 October 2019


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Joined 13 October 2019
29 MAY 2022 AT 10:01

रात तो कटी नहीं
बात दिल से हटी नहीं
जिंदगी रुकी रही
साँस तो रुकी नहीं
रेत सी फिसली, कांच सी बिखर गई
बात जो कहनी थी , दब के मर गई ।
मन जो कहना चाहता था
तन जो होना चाहता था
आंच ना आये तुम पर
पर्वत होना चाहता था
बात जो हृदय की थी शब्दों में बिखर गई
बात जो कहनी थी , दब के मर गई ।
कहना था खुश रहो तुम
और जिंदगी को छुओ तुम
मैं छाँव की तरह चलूंगा
धूप है सफर में आगे बढ़ो तुम
भावना पवित्र थी, जताने से डर गई
बात जो कहनी थी , दब के मर गई ।
वो रिश्ता होता खास
हो भरोसा जिसमें पास
बिन कहे बात पहुंचेगी तुम तक
होता है बस ये एहसास
बात वो जज्बात जैसी रग-रग में भर गई
बात पहुंचे तुम तक तो लगेगा के संवर गई ।
©️®️"v"aarush

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29 AUG 2021 AT 20:55

घायल परिंदों की उड़ान बाकी है
मुझमें अभी थोड़ी जान बाकी है
मै हारूं या जीतूं ये अलग बात है
अहम रहेगा यदि मेरी पहचान बाकी है।




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15 JUN 2020 AT 22:54

और उससे कहना,
शाम को टूटकर सुबह तक
संवर जाने के पीछे
की हिम्मत वही है,अगर मरूं
तो आख़िरी ख्वाहिश वही है,
जिंदा रहूं तो पहली चाहत वही है,
ये शब्द जो लिख रहा हूं
वही है,सबकुछ वही है.. मै भी।

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14 APR 2020 AT 19:15

मोहब्बत वादे
रुसवाई दर्द

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12 APR 2020 AT 15:32

हां लकीरों का ना सही साथ तुझे
कुछ कर दिखाने को ये बाजुएं तो मिली
एक राह ना मिली फूलों से भरी
पेड़ों की तनिक छांव तो मिली
कालचक्र के इस पहिये में
कहीं तो सुबह आएगी
गिरते ही सही,भटकते ही सही
मंजिल मिल जायेगी
मंजिल मिल जाएगी ।

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11 APR 2020 AT 12:14

नज़रों की ये जालसाजी छोड़ दो तुम
गिरफ्तार हम हुए,तो तुम्हे भी ले डूबेंगे।

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10 APR 2020 AT 9:32

कहा ये कदम आ गए है
किनारों को भी छोड़ आए,
नजर अब कहा जा रूकेगी
नजारों को भी छोड़ आए।
हो सके जो तुमसे ,मुझमें मुझे ढूंढ लेना
हम साथ जिसमें दिखे,ऐसा ख्वाब देख लेना।
में एक रात कि बात कह दू
सितारों से हम लड़ गए थे,
ठुकरा दिया रोशनी को
नहीं जिसमें तुम दिख सके थे ।
हो सके तो मेरे लिए तुम रोशनी मांग लेना
हम साथ जिसमें दिखे,ऐसा ख्वाब देख लेना।
है क्या ज़िन्दगी की कहानी
कब और कहा खत्म हो ये,
तुम्हे मांगने की रहेगी
हमेशा ही एक आरज़ू ये।
तुम नयी जिंदगी में फिर मुझे मांग लेना
हो सके जो तुमसे ,मुझमें मुझे ढूंढ लेना
हम साथ जिसमें दिखे,ऐसा ख्वाब देख लेना।

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8 APR 2020 AT 18:27

आओ जीवन के इस पल में,जो जाने कब अंतिम हो जाए
एक भूखे को रोटी देकर हम भी अपना फ़र्ज़ निभाए
उन दियो का मान रखे जो थे मिलकर संग जलाए
मानवता की इस पंक्ति में हम सबसे आगे हो जाए ।

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8 APR 2020 AT 8:31

आओ जीवन के इस पल में,जो जाने कब अंतिम हो जाए
एक भूखे को रोटी देकर हम भी अपना फ़र्ज़ निभाए
उन दियो का मान रखे जो थे मिलकर संग जलाए
मानवता की इस पंक्ति में हम पहले सबसे आगे हो जाए ।

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28 MAR 2020 AT 22:49

बाहर निकलू,जहर घुला है
अंदर से मन जला - जला है
चारों ओर लाशों का मंजर
किन पापों का सिला मिला है ।

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