Vaibhav Rastogi   (वैbhav.....✒)
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વૈભવ ✍
अंत तू आरंभ तू, शून्य मै अनंत तू 🍁
Joined 7 January 2018


વૈભવ ✍
अंत तू आरंभ तू, शून्य मै अनंत तू 🍁
Joined 7 January 2018
20 FEB 2022 AT 13:48

आईने की ज़रुरत क्या कमरे में ?
हम ख़ुद को तुम्हारी आँखों में देख लेंगे !

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15 JAN 2022 AT 19:12

बात खतो की नहीं
खतो में बात होनी चाहिए

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13 DEC 2021 AT 15:20

ताउम्र ना सही, कुछ पल ही सही
ऐ जिंदगी थोड़ी सी तो राहत दे

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7 NOV 2021 AT 13:16

दुनियां अस्थाई है, रिश्ते भी अस्थाई है, फिर अस्थाई लोगो के लिए, इतना सोचा नहीं जाता

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6 NOV 2021 AT 22:06

गरीब व्यक्ति अमीर दिखने के चक्कर में और गरीब हो जाता है।

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16 OCT 2021 AT 11:42

तुम्हें जाना हो तो उस तरह जाना जैसे गहरी नींद में देह से प्राण जाता है

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4 OCT 2021 AT 14:22

सब्र करना जरूर सीखा है
लेकिन इतना भी नहीं कि कब्र में पहुच जाऊँ

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30 SEP 2021 AT 22:36

कुछ बातें इस कदर गंभीर होती हैं कि
वे केवल मज़ाक में ही की जा सकती हैं |

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13 SEP 2021 AT 16:49

हम उनकी दोस्ती की मिसाल दे रहे थे,
और वो हमारे ही दुश्मनों से गले मिल रहे थे।

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18 AUG 2021 AT 12:36

Mohabbat Itni Bhi Khubsurat Nahi Hoti,
Jitni Ye Manhus Shayar Batate Hai

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