आईने की ज़रुरत क्या कमरे में ?
हम ख़ुद को तुम्हारी आँखों में देख लेंगे !-
વૈભવ ✍
अंत तू आरंभ तू, शून्य मै अनंत तू 🍁
आईने की ज़रुरत क्या कमरे में ?
हम ख़ुद को तुम्हारी आँखों में देख लेंगे !-
दुनियां अस्थाई है, रिश्ते भी अस्थाई है, फिर अस्थाई लोगो के लिए, इतना सोचा नहीं जाता
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तुम्हें जाना हो तो उस तरह जाना जैसे गहरी नींद में देह से प्राण जाता है
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सब्र करना जरूर सीखा है
लेकिन इतना भी नहीं कि कब्र में पहुच जाऊँ-
कुछ बातें इस कदर गंभीर होती हैं कि
वे केवल मज़ाक में ही की जा सकती हैं |-
हम उनकी दोस्ती की मिसाल दे रहे थे,
और वो हमारे ही दुश्मनों से गले मिल रहे थे।-
Mohabbat Itni Bhi Khubsurat Nahi Hoti,
Jitni Ye Manhus Shayar Batate Hai-