दुखों का समुंदर लिए फिरता हूँ
कहीं रुका तो डूब जाऊँगा
हक़ीक़त में जीने की आदत सी लगी है
ख्वाबों में जिया तो खो जाऊँगा
और कहते हैं लोग
पैसों से सब कुछ नहीं मिलता मगर
कामयाब ना हुआ तो अपने ही घरवालों
के नज़र में गिर जाऊँगा-
ज़स्बात लिखते हैं…
हम बस अपने कल और मन
के हालत लिखते हैं…
कलम भी मेरी अब साथ
नहीं दे रही
क़िस्मत भी अनचाहे
राह ले रही
बैठा हुआ हूँ गुमसुम सा मैं
अब ज़िंदगी की रेल भी
रफ़्तार नहीं ले रही-
सोचता हूँ की
कलम तोड़ दूँ
बहुत लिख लिया अब काग़ज़
कोरा छोड़ दूँ
रंगनी थी मुझे ज़िंदगी मौजूदा हर
एक रंग से
लगता जैसे अब सब सूना ही छोड़ दूँ
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Kuch mod alag se aaye
Kuch pal jo soche the waise nhi bitaye
Karibyan itni ki sb kch bhul baithe
Or halat aisi ki chah kr bhi nhi btaa paaye
Galtiyan bahut si ki maine
Pr saath nibhana nhi bhula
Chaho toh yaad rakho
Chaho toh bhul jaao
Hamari iss kahani ko ek haseen khaawb
samjho
Yaa zindagi ka khel shmjh chod jaao
Apni mushkurahat se mera din banna
yaa phir meri wajah se aasu bahana
Chalti ghadi ke jaise aage badh jaao
Or ho ske toh mujhe ek bura sapna shamjh
bhul jaao
Apne baaton mein mera zikr beshak naa kro
Pr ho ske toh apni kahani ka ek panna mere naam
kr jaao
Yaadon mein hi sahi mere saath haste uss pal krib aao
Pr rehne do aacha hoga ki ab tm mujhe Bhul jaao
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अब लिखूँ भी तो किसपर लिखूँ
ना कोई यार है ना किसी से प्यार
ना मंज़िल की चाह है ना रास्ते की परवाह
ना सोने में सुकून है ना सपनों में पुरानी बात
ना किसी के क़रीब जाने की तलब ना किसी के छोड़ जाने का गम
अब करूँ भी तो क्या करूँ
ना किसी को मुझसे कोई उम्मीद है ना मुझे ख़ुद पे भरोसा
अब जियूँ भी तो क्यों जीयो
ना जीने की इच्छा है ना मारने का ख़ौफ़-
शायही से लिखूँ या लहू से
बता किससे लिखुं तेरी कहानी
शब्दों से कहूँ या मुहज़ुबानी
बता कैसे बया करूँ तेरी कहानी
एकलव्य की तरह हाथ काटू या
दिल निकाल कर दे दूँ
बता क्या दु तुझे प्यार की निशानी-
सुनो कुछ लिखा है
पढ़ पाओगी क्या
आसान से शब्द हैं मेरे
अर्थ समझ पाओगी क्या
लब्ज़ो से तो नहीं कह पाया
आँखें में देख पाओगी क्या
सुनो कुछ लिखा है
पढ़ पाओगी क्या-
जो लिखना शुरू करूँगा तो
लिखता ही चला जाऊँगा
तेरी मेरी कहानी शब्दों में ख़त्म
नहीं हो सकती-
सुनो एक उलझन है
सुलझाओगी क्या
लब्ज़ो से नहीं कह पा रहा हूँ
नज़रे पढ़ पाओगी क्या
दिल की बढ़ती धड़कन
महसूस कर पाओगी क्या
लड़खड़ा रहा हूँ, ज़िंदगी के
मुश्किल रास्तों पर
हाथ थाम कर सम्भाल पाओगी क्या
सुनो एक उलझन है
सुलझाओगी क्या-