17 MAY 2018 AT 9:56

तू उस चाँद की तरह है जिससे रौशन मेरा पूरा जहां है
पर पहले ये तो बता की तू इस दुनिया में कहाँ हैं

ढूँढूँ तुझे बगीचे में, मैदान में या पड़ोस के मकान में,
या तू मिलेगी मुझे किसी शॉपिंग की दुकान में

सुबह सवेरे उठ कर करते है हम मॉर्निंग वॉक
ढूंढते हैं हम वो चेहरा जिससे हो जाए थोड़ी टॉक

टॉक वॉक तो हुई नहीं पर वजन हो गया कम
और एक महीने के भीतर ही बिस्तर पर पड़ गए हम

गए हम उसके बाद मंदिर मस्जिद भी देने ऊपरवाले को घूस
क्या पता मिला दे तुमसे होकर वो हमसे थोड़ा खुश

पर बात वहां भी जमी नहीं और न आया कोई रिप्लाई
थक हार कर हम भी सो गए लेकर अपनी रज़ाई

बड़ा मज़ा आ रहा होगा आप सबको भी ये पढ़ कर तो
अब जरा ढूंढ भी दो मेरे चाँद को थोड़ा आगे बढ़ कर तो

- Vaibhav