// अब अच्छा सा लगता है //
साँझ की धूप सी हो तुम,
तुम्हारी ओर देखना अब अच्छा सा लगता है,
बारिश के पहले वाली पवन सी हो तुम,
तुम्हारा छू कर जाना अब अच्छा सा लगता है,
वर्षा बाद गीली माटी सी सुगंध है तुम्हारी,
जिसे खुद पर महकाना अब अच्छा सा लगता है,
बच्चों के चेहरे की किलकारी सी हो तुम,
तुम्हारा यूँ हरदम आना अब अच्छा सा लगता है,
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