Vaibhav Goud   (Vaibhav Goud shayari)
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Joined 24 April 2018


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Joined 24 April 2018
30 OCT 2019 AT 19:32

रग रग को तरसा कर मेरी,
क्यों बेवफा कहलाते हो
ज़ब हक़ ना तुम पर मेरा यारा ,
फिर क्यों इतना याद आते हो

दिल में रखता हूँ तुमको अपने,
मेरे दिल से तुम खेल जाते हो
ज़ब हक़ ना तुम पर मेरा यारा ,
फिर क्यों इतना सताते हो

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28 OCT 2019 AT 13:39


वन वन भटकी है जो संग तेरे
जिसके अश्रुओं की शपत स्व शपत भी खाती है
अग्नि से भी पवित्र उस सिया की व्यथा
क्या हे राम तुझे समझ ना आती है

वर्षों तक थी जाने किस हाल में जो
आज बाल राम लखन संग आई है
इस पर भी पवित्रता की फिर शपत मांगे तू
कैसी मरियादा ये रघुराई है

छोड़ा अजन्मे ग़र्भ संग उसे वन में
आज उसी गर्भ का साक्षी तुम चाहते हो
नारी के प्रेम पर ऊँगली उठाकर
राम तुम कैसे पुरषोत्तम कहलाते हो

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26 OCT 2019 AT 16:15

नीती, अनीती, ज्ञान सब उद्धव तेरे धरे रहजाएंगे
राधिका के नैनों को फिर भी, कृष्ण चक्षु ही भाएँगे
रख तेरे पास ही ये ब्रह्म तेरा, ये सब मेरे चित को ना सुहाएँगे
दूर कहाँ मुझमें बसे हैं वो, पीड़ा में जीवन के कुछ दिन और कट जाएँगे

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19 OCT 2019 AT 15:53

समझ तुझे अपना एक बात कहता हूँ
सुनले यारा तू भी कितना प्यार करता हूँ
ना पाया तुझे फिर भी खोने से क्यों डरता दिल
दर्दे दिल कि बातें तुझसे मैं आज कहता हूँ ...

दूर है तू मुझसे, फिर भी पास क्यों रहती है
तन्हाई में सांसे, तुझसे बात करती हैं
बस एक झलख को तेरी, तरसे ये दिल मेरा
धड़कन दिल कि मेरी, बस तुझपर मरती है

तरस रहा तेरे खातिर बेचारा,
ना सता अब मुझको यूँ यारा
बना मैं एक मुसाफिर बंजारा
ना सता अब मुझको यूँ यारा


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15 OCT 2019 AT 10:31

कैसे मैं ये कहुँ, क्या अहसास होता है
है जो खफा हम से, वही क्यों ख़ास होता है

मोड़ जिधर से भी, मैं अपनी नज़रे लाता हूँ
खामोश सूरत तेरी अपने पास पाता हूँ

तू कहदे अगर तो लादूँ तुझको ये जग सारा
ना सता मुझको अब यूँ यारा

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9 OCT 2019 AT 12:23

देता एक लमहा तू
मुझको भी तेरे साथ का
चीर ज़हन को रख दिया
फिर फासला किस बात का
...
सब बूंदों को तोला था मैने
उन रातों की सौगातों में
गिरे अश्क़ तो ज़मीं भी बंज़र हुई
फर्क ना आया तेरे दिल के हालातों में

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1 OCT 2019 AT 7:09

एक पल मैं इख्तियार करूँ
जी भर कर तुझे प्यार करूँ
आँखों में बांध तुझे
लबों से इज़हार करूँ
एक पल मैं इख़्तियार करूँ
जी भर कर तुझे प्यार करूँ

धूप चूमे जो एक पल तुझको
बादल अम्बर का बन जाऊं मैं
अश्क़ गिरे तेरा कभी तो
अपनी हर ख़ुशी ठुकराऊँ मैं
तुझमे जागूं... तुझमे सोऊँ
बस इक तुझसे ही मै बात करूँ
एक पल मैं इख्तियार करूँ
जी भर कर तुझे प्यार करूँ

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30 SEP 2019 AT 8:07

मैने हर पल-हर लम्हा तुझे याद किया है
तेरे बिन हर दिन बेज़ार किया है
तू क्या जाने
मैने खुद से ज़यादा तुझे प्यार किया है

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24 SEP 2019 AT 18:10

एक राह तो देदे खुदा
फिर से वो चाह तो देदे
क्यों रूठ रहा साँसों का काफिला मुझसे
फिर से कानो में वो इश्क़ कि झंकार तो दे दे

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18 SEP 2019 AT 12:56

आँख रवुले तो तुझको देखूँ
बंद आँखों में तुझको सोचूँ
आँख भरे जो तू बहजाए
आँख लगे जब तू दिखजाए

मै पढ़ूँ तेरी आँखों को
तू उनको न पढपाए
मै कहूँ अपनी बातों को
तू उनको ना सुन पाए

जब तू ही ना देखे आँखें मेरी
बता ना मैं किसको देखूँ
जब तू ही ना सुन पाया बातों को मेरी
अब ये दास्ता और किसको कहूँ

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