रग रग को तरसा कर मेरी,
क्यों बेवफा कहलाते हो
ज़ब हक़ ना तुम पर मेरा यारा ,
फिर क्यों इतना याद आते हो
दिल में रखता हूँ तुमको अपने,
मेरे दिल से तुम खेल जाते हो
ज़ब हक़ ना तुम पर मेरा यारा ,
फिर क्यों इतना सताते हो
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Words are reason to smile
My world is you
You are my music
You are m... read more
वन वन भटकी है जो संग तेरे
जिसके अश्रुओं की शपत स्व शपत भी खाती है
अग्नि से भी पवित्र उस सिया की व्यथा
क्या हे राम तुझे समझ ना आती है
वर्षों तक थी जाने किस हाल में जो
आज बाल राम लखन संग आई है
इस पर भी पवित्रता की फिर शपत मांगे तू
कैसी मरियादा ये रघुराई है
छोड़ा अजन्मे ग़र्भ संग उसे वन में
आज उसी गर्भ का साक्षी तुम चाहते हो
नारी के प्रेम पर ऊँगली उठाकर
राम तुम कैसे पुरषोत्तम कहलाते हो-
नीती, अनीती, ज्ञान सब उद्धव तेरे धरे रहजाएंगे
राधिका के नैनों को फिर भी, कृष्ण चक्षु ही भाएँगे
रख तेरे पास ही ये ब्रह्म तेरा, ये सब मेरे चित को ना सुहाएँगे
दूर कहाँ मुझमें बसे हैं वो, पीड़ा में जीवन के कुछ दिन और कट जाएँगे-
समझ तुझे अपना एक बात कहता हूँ
सुनले यारा तू भी कितना प्यार करता हूँ
ना पाया तुझे फिर भी खोने से क्यों डरता दिल
दर्दे दिल कि बातें तुझसे मैं आज कहता हूँ ...
दूर है तू मुझसे, फिर भी पास क्यों रहती है
तन्हाई में सांसे, तुझसे बात करती हैं
बस एक झलख को तेरी, तरसे ये दिल मेरा
धड़कन दिल कि मेरी, बस तुझपर मरती है
तरस रहा तेरे खातिर बेचारा,
ना सता अब मुझको यूँ यारा
बना मैं एक मुसाफिर बंजारा
ना सता अब मुझको यूँ यारा
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कैसे मैं ये कहुँ, क्या अहसास होता है
है जो खफा हम से, वही क्यों ख़ास होता है
मोड़ जिधर से भी, मैं अपनी नज़रे लाता हूँ
खामोश सूरत तेरी अपने पास पाता हूँ
तू कहदे अगर तो लादूँ तुझको ये जग सारा
ना सता मुझको अब यूँ यारा
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देता एक लमहा तू
मुझको भी तेरे साथ का
चीर ज़हन को रख दिया
फिर फासला किस बात का
...
सब बूंदों को तोला था मैने
उन रातों की सौगातों में
गिरे अश्क़ तो ज़मीं भी बंज़र हुई
फर्क ना आया तेरे दिल के हालातों में-
एक पल मैं इख्तियार करूँ
जी भर कर तुझे प्यार करूँ
आँखों में बांध तुझे
लबों से इज़हार करूँ
एक पल मैं इख़्तियार करूँ
जी भर कर तुझे प्यार करूँ
धूप चूमे जो एक पल तुझको
बादल अम्बर का बन जाऊं मैं
अश्क़ गिरे तेरा कभी तो
अपनी हर ख़ुशी ठुकराऊँ मैं
तुझमे जागूं... तुझमे सोऊँ
बस इक तुझसे ही मै बात करूँ
एक पल मैं इख्तियार करूँ
जी भर कर तुझे प्यार करूँ
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मैने हर पल-हर लम्हा तुझे याद किया है
तेरे बिन हर दिन बेज़ार किया है
तू क्या जाने
मैने खुद से ज़यादा तुझे प्यार किया है-
एक राह तो देदे खुदा
फिर से वो चाह तो देदे
क्यों रूठ रहा साँसों का काफिला मुझसे
फिर से कानो में वो इश्क़ कि झंकार तो दे दे-
आँख रवुले तो तुझको देखूँ
बंद आँखों में तुझको सोचूँ
आँख भरे जो तू बहजाए
आँख लगे जब तू दिखजाए
मै पढ़ूँ तेरी आँखों को
तू उनको न पढपाए
मै कहूँ अपनी बातों को
तू उनको ना सुन पाए
जब तू ही ना देखे आँखें मेरी
बता ना मैं किसको देखूँ
जब तू ही ना सुन पाया बातों को मेरी
अब ये दास्ता और किसको कहूँ-