Vaibhav Goud   (Vaibhav Goud shayari)
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Joined 24 April 2018


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17 JAN 2022 AT 18:38

kuch h majboori, kuch is dil ki saza h
Dil se ye pucho, kyu dil se khafa h

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14 JAN 2022 AT 9:54

कैसे मैं ये कहूँ, क्या अहसास होता है
जो है खफा हमसे, वही क्यों ख़ास होता है

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8 MAR 2020 AT 21:15

हँसी में तेरी जाने कितनी कलियों की मुस्कान है
पलकों से इस कदर चांदनी झलक रही
देख तुझे ये शाम भी बेईमान है

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19 FEB 2020 AT 16:45

टूटा हूँ मैं खुद में, हूँ खुद से ही खफा
ऐसा भी है किया क्या मैने अ खुदा

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13 FEB 2020 AT 8:35

गीता के सार सी बातें मेरी
वो कुरान की आयत सी थी
एकसी होकर भी जैसे एक ना ये
मुझे मिली ऐसी ही वो रिवायत थी

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8 FEB 2020 AT 7:11


Crushing on someone is not a wrong feeling......... 

It is just a childish feeling to feel better because of someone 








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3 FEB 2020 AT 20:50

कैसे मैं ये कहूँ , क्या अहसास होता है
है जो खफा हम से, वही क्यों ख़ास होता है

मोड़ जिधर से भी, मैं अपनी नज़रें लता हूँ
खामोश सूरत तेरी अपने पास पता हूँ

तू कहदे अगर तो लादूँ तुझको जग सारा
ना सता मुझको, आजा इक बारी तू यारा

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26 JAN 2020 AT 21:15

कहता जग, है ग्वालिन तू
मेरे लिए राजकुमारियाँ अनेक हैं
राधिका को भूले कृष्ण अब कैसे
वही तो उसका विवेक है

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11 JAN 2020 AT 19:49

इस बेखयाली में मर चुकी साँसें जो
उन को मैं ज़िंदा करूँ कैसे
गुज़रूँ जब तेरे करीब से तो लगता है
तेरी नज़रें मुझसे गिला कर रहीं हों जैसे

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2 JAN 2020 AT 0:52

रोक लेता हर पल पीछे हटने से जो
वह ह्रदय भी तो उसका ना था
जाने लड़ी कैसे जग से मीरा
साथ तो उसके भी कृष्ण का ना था

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