vaibhav chauhan  
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Joined 18 December 2019


Joined 18 December 2019
20 JUN 2021 AT 10:07

काश आपके कंधो पर एक बार फिर चड़ कर सारा जहां देख पाता,
काश आपकी उँगली को पकड़ संभलना सीख पाता,
होते आप तो कोई ग़म नहीं होता,
काश एक बार फिर उस भगवान से आपको छीन ला पाता!!

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26 JUN 2020 AT 11:06

भगवान इतना भी बड़ा नही की
माँ की बराबरी कर सकें।

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26 JUN 2020 AT 9:35

दिखावे की नजदीकियों से
बेहतर है, दूरिया बनाना ।।
🙏😊

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25 JUN 2020 AT 14:15

बारिश मौसमी हो या बेवक्त सावन का दीदार करा ही देती है
❤️❤️❤️

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23 JUN 2020 AT 8:40

सुबह-सुबह कि वो बारिश और हाथ में चाय का कप एक अच्छी सुबह का आगाज था!
वो टिप-टिप बरसा पानी, तेज बहती हवा
काले बादलों में चमकती बिजली!
मानो प्रकृति का अद्भुत श्रंगार था
वो प्रकृति को जीने का एक अलग एहसास था।

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8 APR 2020 AT 13:26

कल यू ही बिखर गए थे हम
सिमटने की शुरुआत फिर से करेंगे..!!
जिस राह पर रुक गए थे कल
वही से शुरुआत आज फिर करेंगे..!!

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27 JAN 2020 AT 11:56

उसका आना मानो जैसे
पतझड़ के बाद बसंत
सुबह निकलते सूरज की किरणें
बारिश के समय चलती हवा
चारों ओर खुशनुमा मौसम
यह मानो ज़िंदगी का दूसरा आगाज़ था।।
जैसे-2 बाते बढ़ी मानो चाहत
ओर भी बढ़ने लगी
चाहत कुछ इस तरह थी हमारी
पूरा वक्त बात होती थी
मगर वो बातों में भी लड़ाई होती थी
लेकिन वो लड़ाई में भी मानो प्यार था.
यह मानो ज़िन्दगी का दूसरा आगाज़ था।।

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20 JAN 2020 AT 19:05

शहर बनते गए गाँव मिटते गए ज़िन्दगी कुछ इस तरह बदली कि
न जाने हम कब गाँव वालो से शहरी बन गए
अब लिखूंगा उसी दिन जब दुःखो के ये दिन टल जायेंगे
जब शहरी से वापस गाँव वाले बन जायेंगे।।
क्योंकि ये गाँव ही है जहाँ की हवा भी अपनी लगती है शहर में अपने होते हुए सब पराये से लगते है।।

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16 JAN 2020 AT 17:47

बेचता है अखबार वो, स्कूल जाने के लिए।
पढ़ना चाहता है अपना घर चलाने के लिए।।
बोझ नहीं बनते बच्चे गरीब के कभी,
खो देतें हैं बचपन परिवार का बोझ उठाने के लिए
वो बचपन मे भी बड़े बन जाते है परिवार को बढ़ाने के लिए
खुद न पढ़कर तकलीफे सहते है भाई बहन को पढ़ाने के लिए
सारी उम्र दुसरो का सहारा बनकर जिया जब उसको सहारे की जरूरत थी सब हाथ छुड़ा गये
खो देतें है बचपन कुछ बच्चे परिवार का बोझ उठाने के लिए..!!!

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15 JAN 2020 AT 11:39

तुम हो
तो हम है
#indianarmyday

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