मासूमियत उसकी दिल को
कुछ इस क़दर भा गई
की अब हर ओर
बस वो ही छां गई-
"मस्तकी भगवा"
"अन् मनात शिवबा"
विचारुन बघ स्वतःला
पुन्हा एकदा पहिल्यासारखा होशील का?
आधी सारखं स्वच्छंद जगतानाची,
स्वतःची आवड जपशील का?
नेहमी दुसऱ्या साठी जगताना
स्वतःसाठी थोडा वेळ काढशील का?
नको ती मोबाईलची टिकटिक
नको ती बॉसची किटकिट
ते सर्व सोडून आधी सारखं
मैदानावर खेळायला येशील का?
विचारुन बघ स्वतःला
पुन्हा एकदा पहिल्यासारखा होशील का?-
कल तक मुझे नहीं पता था की,
मैं इस कदर किसी के पास चला जाऊंगा
कि दो सौ किलोमीटर की दुरी भी पास लगने लगे...
कल तक मुझे नहीं पता था की,
मैं इस कदर किसी में खो जाऊंगा
की उसकी जान भी मुझे मेरी लगने लगे...
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तुम्हारे साथ हर पल खूबसूरत सा लगता है
बिन तुम्हारे अब जीं कहीं ना लगता है
मुलाक़ात तो थी बस एक पल की वो
पर अब हमें वहीं अपना सा लगता है...-
तुम्हारे प्यार से रौशन है दिल मेरा
तुम्हारे बिन लगता नही अब जीं मेरा
मोहब्बत तो तुमसे इतनी है की,
अब तेरे सिवा कोई दिखता ही नहीं
हर जगह दिखती हो तुम ही सही
पता नहीं कब ये उतरेगा ये नशा
कब सुधरेगी मेरी ये दशा
ना जाने कब ये दिल जगह पे आएगा
अब तो बस मौत ही चैन दिलाएगा...-
यादों के अलाव जल रहे है
रातों के अफसाने ढल रहे है
मत कर कल कि फ़िक्र ऐ मेरे दोस्त
यहां न देखे हुए ख़्वाब ही धूल में मिल रहे है...-
धीरे धीरे ये साल भी गुज़र जाएगा
अपने पीछे बस यादें छोड़ जाएगा
कुछ अपनों को साथ हमेशा के लिए छुडा देगा
तो कुछ परायों को अपना बनाएगा
नये साल को अपने कुछ राज़ ज़रूर बताएगा
और दिल मे यादें संजोए ये साल भी गुज़र जाएगा...-
चलती हुई ट्रेन से
हमेशा एक बात सिखना
अपनी मंजिल से
पहले कभी मत रुकना-
सच बोलना भी एक कला है
और ये हर किसी को नहीं आती
क्यूंकि आज के जमाने में
जो जितना सच बोलेगा
वो उतना ही खुद को अकेला पायेगा...-
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान
देखकर ऐसा लगता है के
वक्त वहीं थम सा जाए
और उसी एक पल में
सारी जिंदगी कट जाए-