एक नई शुरुआत
-
शायद जो मुझसे दूर जाने की तमन्ना थी तुम्हारी,
उसने मुझे एक रूप दे दिया है,
जिसकी हर बात अब बेमानी है तुम्हारे लिए,
ऐसा एक वीभत्स स्वरूप दे दिया है।
शायद मैं नहीं हूँ वो,
जिससे तुम नफरत करते हो,
और मैं नहीं था वो भी,
जिसे तुम मुहब्बत करते हो,
मैं जो हूँ वह इन दोनों के बीच कहीं खो गया है,
जो तुम्हारे लिए सुकून का पर्याय था,
वह अक्स जिंदगी के अंधियारों में कहीं सो गया है,
अब बस एक लाश की तरह है ये रिश्ता,
जो समय के साथ जिंदा नहीं हो पाएगा,
धीरे धीरे समय इस पर अपना प्रभाव दिखाएगा,
और कुछ समय में एक लाश की तरह ये सड़ जाएगा।
पर जिसे तुमने चाहा और जिसे खुद से दूर कर दिया,
वह दोनों ही मैं नहीं था,
जो मैं था उसे तुम अपने पास होते भी देख न पाए,
जो मैं था वह हमेशा से वहीं था।-
मजाक से ज्यादा क्या है हस्ती मेरी,
मझधार से झगड़ती है,
किनारों पे डूबती है कश्ती मेरी।-
एक नई शुरुआत,
विरोधाभासों से दूर
खुद के साथ।
जिम्मेदारी निभाने को,
बीते सपने भुलाने को,
दर्द में मुस्कुराने को,
और सदैव के लिए मौन हो जाने को।-
तेरे मौन में खो जाऊँ,
तेरे चरणों में रह बस तेरा हो जाऊँ,
इस जगत की मिथ्या को त्याग,
मिटा लूँ सारे द्वेष व राग,
तेरी समाधि में लीन,
सदैव रहूँ तुझ में तल्लीन,
इस जगत को उसका दे जाऊँ,
इस जन्म को यूँ सिद्ध कर पाऊँ,
हर भाव का करूँ त्याग,
कुछ यूँ धधके मुझमें बैराग,
शून्य की पूर्णता को पाकर,
मुक्त हो जाऊँ तुझमें समाकर।-
दिल में प्यार का समंदर लिए बैठा हूँ,
लहरें हिलोरे मारती हैं,
उमड़ती हैं,
उफनती हैं
टकराती हैं दिल की दीवारों से
पूरे वेग से,
लगातार,
बारम्बार,
फिर थककर लौट जाती हैं,
एक धुँधली सी उम्मीद लिए,
कि कल शायद एक नया दिन हो,
कल शायद सारे बाँध टूट जाए,
और इस समंदर की कोई एक लहर ही सही
तेरे दिल के किसी कोने में एक दस्तक दे पाए।-
फकीरों सी फितरत है,
दो घड़ी बस रुके थे,
कारवाँ से दूर,
मंजिल से बेख़बर,
अब चल पड़े हैं,
अन्जानी मंजिल की ओर
अनदेखे रास्तों पर।-
कुछ पल सुकूनभरे,
हर उलझन हर सवाल से दूर,
कुछ पल खुद के सान्निध्य में,
बंजारेपन की मस्ती में चूर।-
इस मौन की आवाज़ तुम तक आती होगी,
सारे विरोधभासों को धता बताती होगी,
शायद शब्दों की व्याख्या अब पूरा नहीं कर पा रही हो,
और तुम महसूस कर रही हो जो सही हो,
यह गहराई सत्य है, नहीं महज़ ख्वाहिश है,
इसने देखी वख्त की आजमाइश है,
शायद बन्द आँखों से ये सच उजागर हो रहा होगा,
और मेरी याद में तुम्हारे दिल का कोई कोना रो रहा होगा,
बिना सिसकियाँ भरे, बिना आँसू बहाए,
कहीं बैठा होगा एकांत में मेरी यादें सजाए,
जो ये चिंता तुम्हारी है ये तुम्हारे हृदय का उद्गार है,
ये प्रकट करता है कि कितना गहरा तुम्हारा प्यार है,
पर इस बार शायद मैं खुद से समझौता न कर पाऊँ,
पता नहीं है और कितने पल नसीब में हैं जिन्हें जी पाऊँ,
इस नश्वरता में यूँ तो तुम्हारे साथ की दरकार है,
मेरे हृदय की धड़कन हो तुम, मुझे तुमसे अतिशय प्यार है,
पर शर्तों की सैकड़ों परतों को तुम नहीं पाट पाओगी,
और मेरे सान्निध्य में बस दुःख और तकलीफों को पाओगी,
इसीलिए यह सफर कुछ इस तरह बुना है मैंने,
अब अंतिम घड़ी तक मौन रहना चुना है मैंने।-