एक सफ़र पर चल दिए,
अभी हटाया था पर्दा, चेहरे से उनके,
और सोप दिए हमे सारे काम धिरे से हस के।
वो मुस्कुराएं थोड़े गबराए,
दौड़ कर कुछ कहने चले आए !
सफ़र का दूसरा पहर आ चुका था।।
पति था में, अब बाप बन चुका था
जवाबदारियो के चंगुल में फस गए!!
हाथों में हाथ लिए, नए सफर पर चल दिए ।।-
सबके साथ होने पर भी, लोग अकेले रह जाते है!
अकेले हो कर भी सबके साथ रहा हूं मै !!-
एक अर्से के बाद, कुछ हलचल थी मेरे मोबाइल पर,
किसी ने बरसो के बाद, याद जो किया था !
मुस्कुरा कर, हाय भेजा था और स्वीकार मैने कर लिया था !!
पर जो उम्मीद ना थी वो प्रश्न आने वाला था,
" परेशान हो " ये उसका मैसेज था, और मुझको परशन करने वाला था
इस मैसेज ने मेरे जज़्बात बदल दिए,
छुपाता रहा हूं जिसको, वो हाल कैसे बता दूं।
सोचा की थोड़ा रुकु, और फिर मुस्कुरा दू,
पर ऐसे ना रुके प्रश्न उसके, अकेले हो ! कि सब साथ है तुम्हारे !
आज भी तुम सब के अजीज हो ! जैसे थे तुम पुराने
में क्या कहता उसको, क्या हाले दिल सुनता, सोचा कुछ लिख दू, जो उसके समझ आता ।
दो पंगतियों में पुराना कल लिख दिया, कुछ समझ आया ये पूछ लिया !!
" अकेला हो कर भी, सबके साथ रहा हूं मै!
पर सबके साथ हो कर भी, अकेला ही हूं मैं !! "
ये सुनते ही, बात स्चयाई पर निकल आई थी,
तुम थे पहले ऐसे, ये बात याद दिलाई थी !
जमाना बदल रहा है, तुम भी बदल जाओ।
कब तक रहोगे अकेले परिवार साथ ले आओ
हमने भी मुस्कुरा कर हामी भरदी, दर्द गहरा ना हो जाए, तो बस बाते बदल दी !!-
कि जो समझें उसे बताने में शर्म कैसी!
और जो ना समझें उसे बताने की जरूरत कैसी !!-
अब मुस्कुराहटों में गम को छुपाने लगा हूं,
हर दिन खुद को अकेला पाने लगा हूं,
महफिलों में जागने की आदत थी लेकिन,
अब तन्हाइयों में खुद को जागने लगा हूं।।-
अब इन्सान ग़लत नही होता जनाब,
लोग वक़्त को कठघरे मे खड़ा करते है-
सुकून की तलाश में, मैं मुशाफिर हो गया,
एक घर था मेरा अपना, जो अजनबी हो गया!!-
बहुत खामोश सा चल रहा है ये वक्त,
पर इसका शोर बहुत दूर तक है...
कुछ यूंही अकेला चल रहा हूं, मैं अब,
पर मेरा काफिला बहुत दूर तक है...-
कुछ बातें अधुरी रहतीं हैं,
कुछ मुलाकातें अधूरी रहती हैं।
उनको चाहा था हमने तहे दिल से.. पर !
कुछ की चाहते भी अधूरी रहतीं है-