VACHASPATI MISHRA   (The unknown writer)
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Joined 26 March 2019


Joined 26 March 2019
28 AUG 2024 AT 10:07

शाम बैठे, थोक फ़रोक़ में रिश्ते बुन रहा था,
यूं बाज़ार में अपने ही रिश्तों का ख़रिदार ढूंढ रहा था।

~वाचस्पति मिश्र

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18 APR 2022 AT 23:59

रिश्तों की थोक फरोक में,
बहुत खरीदार मिलेंगे,
जीवन के इस बाजार में।
~Vachaspati Mishra

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23 JAN 2022 AT 0:02

साथ चलने को जी चहता है,
हाथो में हाथ डाले,
साथ चलने को जी चाहता है,
मगर कमबख्त जिन्दगी है ही ऐसी,
ना चाहते हुए भी दूर जाने का हिसाब मांगती हैं,
चार साल का हिसाब मांगती है,
जिन्दगी का फलसफा मांगती।।

~Vachaspati Mishra

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22 JAN 2022 AT 23:57

साथ चलने को जी चहता है,
हाथो में हाथ डाले,
साथ चलने को जी चाहता है,
मगर कमबख्त जिन्दगी है ही ऐसी,
ना चाहते हुए भी दूर जाने का हिसाब मांगती हैं,
चार साल का हिसाब मांगती है,
जिन्दगी का फलसफा मांगती।।

~वाचस्पति मिश्र

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22 JAN 2022 AT 23:02

बिन जिंदगी का हिसाब किये निकल जायेगा,
तू तो परदेशी है यारा,बिना मिले निकल जाएगा।।

~वाचस्पति मिश्र

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14 NOV 2021 AT 13:09

कुछ रिस्तो के पीछे कोई कहानी नहीं होती,
कुछ भाईयों में खुन की रिस्तेदारी नही होती,
यूं ही मिल जाते हैं,वो जीवन के उस मोड़ पर,
जिनके बगैर जिन्दगी के कुछ हसीन पल गुजारी नहीं जाती।।
~वाचस्पति मिश्र

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13 NOV 2021 AT 21:21

कभी ख्याल आये हमारे दीदार का ,
तो अपनी महफिल में हमारा जिक्र कर देना,
अगर नजरो के सामने ना आये हम,
तो अगले ही क्षण हमारी मोहब्बत को बेनाम कर देना।।

गिला एक बूंद की भी ना करेंगे हम,अगर खुद की आबरू बचाने के लिऐ, अपनी महफ़िल में आप हमे बेदाग कर देना।।
~वाचस्पति मिश्र

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8 NOV 2021 AT 19:29

जिन्दगी के कुछ उसूल खुद सीखने पड़ते हैं,
क्योंकि जिन्दगी आपको हर मोड़ पर सिर्फ तजुर्बे देती है।
~वाचस्पति मिश्र

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4 OCT 2021 AT 17:33

"The Dawn and the Dusk of Sun describe the truth of life."

~Vachaspati Mishra

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2 OCT 2021 AT 1:26

किसी ने कहा हैं, की अधूरी ख्वाहिशे ही जीने का मज़ा देती है,
पर जनाब मैं कहता हूं, उन अधूरी अनकही ख्वाहिशो का गम एक हसीन दर्द देती हैं।।।

~वाचस्पति मिश्र

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