ये तो शुक्र है
थोड़ा संस्कारी हूँ मैं
कम बोलकर निकल लेती हूँ
वरना जुबान तो बहुत है मेरी….-
उसकी कृपा से बनते है मेरे सारे काम
ख़ुशियों की कमी नही शिव हो जिसके साथ।
ये तो शुक्र है
थोड़ा संस्कारी हूँ मैं
कम बोलकर निकल लेती हूँ
वरना जुबान तो बहुत है मेरी….-
ये तो हम औरते संस्कारी होती है
वरना जो लोग पानी पूछने लायक नहीं है
उनको cold drink पूछी जाती है….-
काश सच और जूठ के चक्कर में ना पड़े होते
तो इतनी जल्दी सबके चेहरे
बेनकाब ना होते…-
कलयुग के रिश्ते
पास रहने वाले आँखो में खटकते है
दूर वालो से रिश्ता अच्छा रखते है
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महफ़िल में मेरे दीवाने होकर जो नाचा करते थे
धीरे से कह गए ये महफ़िल का रिवाज़ है
पागलपन मत समझ लेना..-
अंधे का सहारा छड़ी जब तक है
जब तक दिखाई नहीं देता
रोशनी आते ही आँखो की
छड़ी बेकार लगने लगती है …-
क्या बेचने निकला फ़क़ीर तू बाज़ार में
सब कुछ गिरवी है मजबूरी के बाज़ार में…-