भर के आंखों में सपने दिखाया मुझेऔर मैं लुट गया उसके दीदार मेंतू बहुत झूठ है दर्द देता गयाऔर मासूम मैं लुट गया प्यार में -
भर के आंखों में सपने दिखाया मुझेऔर मैं लुट गया उसके दीदार मेंतू बहुत झूठ है दर्द देता गयाऔर मासूम मैं लुट गया प्यार में
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तुम न समझोगे तो क्या कोई तो समझेगा मुझेधड़कनों के लफ्ज़ का जिसको पता होगा- विनोद श्रीवास्तव -
तुम न समझोगे तो क्या कोई तो समझेगा मुझेधड़कनों के लफ्ज़ का जिसको पता होगा- विनोद श्रीवास्तव
प्यार शोला प्यार शबनमप्यार दिल का करार हैज़िंदगी की पतझड़ों काखुशनुमा सा बहार हैप्यार सुख है प्यार दुख हैप्यार ही संसार हैमत इसे शब्दों से तौलोप्यार तो बस प्यार है- विनोद श्रीवास्तव -
प्यार शोला प्यार शबनमप्यार दिल का करार हैज़िंदगी की पतझड़ों काखुशनुमा सा बहार हैप्यार सुख है प्यार दुख हैप्यार ही संसार हैमत इसे शब्दों से तौलोप्यार तो बस प्यार है- विनोद श्रीवास्तव
बह रहा तूफां निरंतर घात और प्रतिघात काकौन दीपक बन जलेगा इस अंधेरी रात का- विनोद श्रीवास्तव -
बह रहा तूफां निरंतर घात और प्रतिघात काकौन दीपक बन जलेगा इस अंधेरी रात का- विनोद श्रीवास्तव
ये जो लमहे शिकायत करेंगे कभीदिल के जज्बात से क्या कहेंगे कभीलफ्ज़ खामोश से थरथराएंगे जबखुद को खुद से मोहब्बत करेंगे कभीयूं तो खुद्दार थे पर दिखा ना सकेवक्त पर वक्त को अपनी औकात भीजब वफा पर सवालात उठने लगेंजो तुम्हारे थे वो क्या रहेंगे कभीलिख के काग़ज़ पर ख्यालात रखने से क्याबोलना भी जरूरी है दिल के लिएहो के खामोश बैठोगे जो इस तरहआशियां आग में जल उठेंगे कभी- विनोद श्रीवास्तव -
ये जो लमहे शिकायत करेंगे कभीदिल के जज्बात से क्या कहेंगे कभीलफ्ज़ खामोश से थरथराएंगे जबखुद को खुद से मोहब्बत करेंगे कभीयूं तो खुद्दार थे पर दिखा ना सकेवक्त पर वक्त को अपनी औकात भीजब वफा पर सवालात उठने लगेंजो तुम्हारे थे वो क्या रहेंगे कभीलिख के काग़ज़ पर ख्यालात रखने से क्याबोलना भी जरूरी है दिल के लिएहो के खामोश बैठोगे जो इस तरहआशियां आग में जल उठेंगे कभी- विनोद श्रीवास्तव
सजा मिलती रही है जुर्म की फेहरिस्त भारी हैजुबां होती नहीं चुप बस यही गलती हमारी है- विनोद श्रीवास्तव -
सजा मिलती रही है जुर्म की फेहरिस्त भारी हैजुबां होती नहीं चुप बस यही गलती हमारी है- विनोद श्रीवास्तव
न कर मनमानियां ऐ दिल जमाना देखता हैअभी तेरी हवा है मगर मौसम बदलता है- विनोद श्रीवास्तव -
न कर मनमानियां ऐ दिल जमाना देखता हैअभी तेरी हवा है मगर मौसम बदलता है- विनोद श्रीवास्तव
मरता है इक जनम में कई बार आदमीजीता है कई रंग का किरदार आदमीहै आदमी भी आदमी दानव भी आदमीकरता है आदमी का भी शिकार आदमी- विनोद श्रीवास्तव -
मरता है इक जनम में कई बार आदमीजीता है कई रंग का किरदार आदमीहै आदमी भी आदमी दानव भी आदमीकरता है आदमी का भी शिकार आदमी- विनोद श्रीवास्तव
बदलती तारीखों के संग महीने दर महीने बनगुजर ही तुम गए आखिर गुजरना तेरी फितरत है- विनोद श्रीवास्तव -
बदलती तारीखों के संग महीने दर महीने बनगुजर ही तुम गए आखिर गुजरना तेरी फितरत है- विनोद श्रीवास्तव
अब न खिलेगी कोई चंपाअब न बसेगा बागमौसम बदला बदला सा हैहवा में बहती आगअब पानी में तत्व नहीं हैमाया मोह ममत्व नहीं हैमर जाएगा सोते सोतेजाग सके तो जागमस्तक में मदिरालय छायाउन्मादी बन जग बौरायाराग भैरवी बहकी बहकीबदल गए सब राग- विनोद श्रीवास्तव -
अब न खिलेगी कोई चंपाअब न बसेगा बागमौसम बदला बदला सा हैहवा में बहती आगअब पानी में तत्व नहीं हैमाया मोह ममत्व नहीं हैमर जाएगा सोते सोतेजाग सके तो जागमस्तक में मदिरालय छायाउन्मादी बन जग बौरायाराग भैरवी बहकी बहकीबदल गए सब राग- विनोद श्रीवास्तव