"सुकून मिलता है उसकी एक झलक से,🤍जैसे अँधेरी रात में चाँद का नजर आना"🌙 -
"सुकून मिलता है उसकी एक झलक से,🤍जैसे अँधेरी रात में चाँद का नजर आना"🌙
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लिपट कर रो रहे हो मेरी क्रब पर, 'तुम मुझसे प्यार करते हो क्या?धुँए सा बेपरवाह उड़ रही हूँ, 'तुम मेरी खुशबू को पहचानते हो क्या? बड़े ग़ौर से देख रहे हो, 'मुझे तारों में पहचान रहे हो क्या? बड़े ध्यान से पढ़ रहे हो, 'अब बताओ मुझे शायर मानते हो क्या? -
लिपट कर रो रहे हो मेरी क्रब पर, 'तुम मुझसे प्यार करते हो क्या?धुँए सा बेपरवाह उड़ रही हूँ, 'तुम मेरी खुशबू को पहचानते हो क्या? बड़े ग़ौर से देख रहे हो, 'मुझे तारों में पहचान रहे हो क्या? बड़े ध्यान से पढ़ रहे हो, 'अब बताओ मुझे शायर मानते हो क्या?
इश्क़ भी अक्सर उन्हीं से होता है जिनका इश्क़ कोई और होता है !!! -
इश्क़ भी अक्सर उन्हीं से होता है जिनका इश्क़ कोई और होता है !!!
उसका प्यार पतझड़ जैसा निकला"जो वक़्त के साथ सूखकर, जमीं पर गिर गए" — % & -
उसका प्यार पतझड़ जैसा निकला"जो वक़्त के साथ सूखकर, जमीं पर गिर गए" — % &
बरसों बाद मिले, हम लोगों सेन हाल पूछा,न खैरियत पूछा आज भी लोगों ने , हैसियत पूछा — % & -
बरसों बाद मिले, हम लोगों सेन हाल पूछा,न खैरियत पूछा आज भी लोगों ने , हैसियत पूछा — % &
मुझसे, जब इश्क़ ही नहीं था, तब मुझसे इश्क़ होने कादिखावा किये ही क्यों? जब पराया ही करना था, तब अपनेपन का दिखावा क्यों? जब दूर ही जाना था, तब पास आये ही क्यों? जब ख़्वाब तोड़ना ही था, तब ख़्वाबों को दिखाए ही क्यों? जब निभाना ही नहीं था, तब वादा किये ही क्यों? -
मुझसे, जब इश्क़ ही नहीं था, तब मुझसे इश्क़ होने कादिखावा किये ही क्यों? जब पराया ही करना था, तब अपनेपन का दिखावा क्यों? जब दूर ही जाना था, तब पास आये ही क्यों? जब ख़्वाब तोड़ना ही था, तब ख़्वाबों को दिखाए ही क्यों? जब निभाना ही नहीं था, तब वादा किये ही क्यों?
तुम्हे खबर भी है, क्या तुम्हारी याद आने पर, कितनी करवटें बदलने पड़ते है, नींद आने में... -
तुम्हे खबर भी है, क्या तुम्हारी याद आने पर, कितनी करवटें बदलने पड़ते है, नींद आने में...
अब कुछ कहूँगा नहीं,महसूस कराऊंगा तुम्हे, मोहब्बत है तुमसे,कहोंगे तुम हमसे, मेरी याद में तुम,तड़पोगे ऐसे, कि,खुद माँगोगे हमें,खुदा से तुम, -
अब कुछ कहूँगा नहीं,महसूस कराऊंगा तुम्हे, मोहब्बत है तुमसे,कहोंगे तुम हमसे, मेरी याद में तुम,तड़पोगे ऐसे, कि,खुद माँगोगे हमें,खुदा से तुम,
चाहत क्या होती है, ये महसूस कराऊंगा तुम्हे, पछतावे की आग में, जलाऊंगा तुम्हे, इंतज़ार करती रहोगी, तुम मेरा, पर, मैं ना आऊंगा कभी, -
चाहत क्या होती है, ये महसूस कराऊंगा तुम्हे, पछतावे की आग में, जलाऊंगा तुम्हे, इंतज़ार करती रहोगी, तुम मेरा, पर, मैं ना आऊंगा कभी,
नहीं पता मुझे मैं तुम्हारे लिए आम हूँ या खास हूँपर तूम समझती हो मुझे यही मेरे लिए खास है -
नहीं पता मुझे मैं तुम्हारे लिए आम हूँ या खास हूँपर तूम समझती हो मुझे यही मेरे लिए खास है