कृष्ण की बंसी बजी तो ,,
गोपियां सब आ गईं,,
प्रेम की धरती सजी तो,,
गोपियाँ सब आ गईं,,,
नेह के बंधन पुकारें,,
बांसुरी की धुन में जब,,
कृष्ण को अपना बनाने ,,
गोपियाँ सब आ गईं,,
बृज की धरती खिल-खिलाए ,
हंसते हुए सब देखकर,,
कृष्ण में सुध-बुध गंवाने ,,
गोपियाँ सब आ गईं,,
प्रेम के आलिंगन बने तो, ,
राधा भी जब शर्मा गईं,,
और उसका दिल जलाने, ,
गोपियाँ सब आ गईं!
~ विनीत
-