श्रेष्ठता जन्मजात नही व्यक्ति के गुणों से होती है। दूध, दही, घी, छाछ सब एक ही कुल के होते हुए भी, सबके मूल्य अलग अलग होते है। उसी प्रकार सभी व्यक्ति एक जैसे दिखने पर भी सभी की अलग अलग पहचान, मूल्य एवं सम्मान होता है।
कल की खिली कलियाँ कहने लगी दरख़्त से तुम बस मेरे हो मैंने ही तुम्हें ये रूप दिया मेरी ही छाँव में तो तुमनें खुद को आबाद किया किन पाशों में जकड़े हो, आधार तुम्हारा क्यों नहीं हिलता इन जड़-मूलों का बंधन तुमसे, मुझे सौतन सा है लगता भूल गयी ये कलियाँ कि अस्तित्व इन्हीं से तो उनका बनता तुम्हारी हरियाली खिलखिलाहट का पोषण इन्हीं से मिलता गर टूट गया बन्धन इन जड़-मूलों से इस परिपूर्ण से दरख़्त का सबसे पहले तुम मुर्झाओगी दरख़्त फिर भी मूक रहेगा अपने छद्म से स्वार्थ के कारण ऐसी कड़वाहट ना घोलो बिन जड़-मूलों के ये दरख़्त इक हवा का झोंखा भी ना सह पायेगा घमन्ड तुम्हारा पल भर में इसके ढहने के साथ ही टूट जाएगा ....
प्यार क्या है? प्यार एक "अहसास" है जिसे प्यार करने वाला ही समझता है प्यार एक "तड़प" है जिसे प्यार में पागल होने वाला ही समझता है प्यार एक "आग" है जिसे प्यार में जलने वाला ही समझता है प्यार एक "कशिश" है जिसे प्यार में बैचैन होने वाला ही समझता है प्यार एक "ग़ज़ल" है जिसे प्यार में गुनगुनाने वाला ही समझता है प्यार एक "लहर" है जिसे प्यार में गोते लगाने वाला ही समझता है प्यार एक "गीत" है जिसे प्यार में झूमने वाला ही समझता है प्यार एक "जाम" है जिसे प्यार का नशा करने वाला ही समझता है प्यार एक "धोखा" है जिसे प्यार में अंधा होने वाला ही समझता है प्यार एक "रूहानियत" है जिसे प्यार में शर्माने वाला ही समझता है प्यार एक "रूह" है जिसे प्यार को आत्मसात करने वाला ही समझता है प्यार एक "खजाना" जिसे प्यार में सब कुछ खोने वाला ही समझता है प्यार एक "सम्बन्ध" है जिसे प्यार निभाने वाला ही समझता है
प्यार एक "अहसास" है जिसे प्यार करने वाला ही समझता है प्यार एक "तड़प" है जिसे प्यार में पागल होने वाला ही समझता है प्यार एक "आग" है जिसे प्यार में जलने वाला ही समझता है प्यार एक "कशिश" है जिसे प्यार में बैचैन होने वाला ही समझता है प्यार एक "ग़ज़ल" है जिसे प्यार में गुनगुनाने वाला ही समझता है प्यार एक "लहर" है जिसे प्यार में गोते लगाने वाला ही समझता है प्यार एक "गीत" है जिसे प्यार में झूमने वाला ही समझता है प्यार एक "जाम" है जिसे प्यार का नशा करने वाला ही समझता है प्यार एक "धोखा" है जिसे प्यार में अंधा होने वाला ही समझता है प्यार एक "रूहानियत" है जिसे प्यार में शर्माने वाला ही समझता है प्यार एक "रूह" है जिसे प्यार को आत्मसात करने वाला ही समझता है प्यार एक "खजाना" जिसे प्यार में सब कुछ खोने वाला ही समझता है प्यार एक "सम्बन्ध" है जिसे प्यार निभाने वाला ही समझता है
आधी हिकीक़त आधा फ़साना झूठे ख्वाबों को दिल मे न बसाना टूटेगा ये दिल पड़ेगा तुम्हें पछतावा अब ये ही रीत है यही जमाना दिले आशिकी अब न निभाना लौटके फिर अपने घर को ही आना खुद के दिल मे है जब खुशी का खजाना क्यों फिर किसी के दिल पे लार है टपकाना जिंदगी जिंदादिली से अपनी मर्जी से जीना