Sometimes you climb out of the bed in the morning, and you think, i am not going to make it, but you laugh inside- " Remembering all the times you have felt that way".
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Do whatever is needed to be done.
Esoteric
क्या तुमने कभी देखा है कहानी का कोई सानवी किरदार
गली के अंधेरे नुक्कड़ पर किसी लैंप पोस्ट तले,
सिगरेट का धुआं उड़ाता वह अजनबी
या तेज बारिश की बौछार में छतरी ताने दौड़कर
सड़क पार करता एक अनजान
जैसे भागते ट्रेन की खिड़की से दिखता,
प्लेटफार्म पर बैठा कोई गुमनाम
यह छोटे-छोटे सानवी किरदार बेरफ्त, गैर अहम
बिना किसी ज़ोम बिना किसी भरम ,
एक लम्हे में नजर से ओझल हो जाने वाले
जिन पर मरकजियत का बोझ ना कोई इल्जाम
बस वही किरदार जीना चाहता हूं
मैं कहानी में बहुत दिन मरकजी रहा
अब फ़क़त एक सानवी किरदार बनना चाहता हूं-
तेरी जुस्तजू में निकले तो अजब सराब देखें
कभी शब को दिन कहा कभी दिन में ख्वाब देखे
मेरे दिल में इस तरह है तेरी आरजू ए खरामा
कोई नाज में हो जो खुली किताब देखें
जिसे कुछ नजर ना आया हो जहां ए रंग बू में
खिला गुलाब देखें गर वो तेरा शवाब देखें
मुझे देखना है जिसने मेरे हाल पर ना जाए
मेरा जौक और शौक देखे ,मेरा इंतखाब देखें।
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रात बेहद चुप है
और उस का अन्धेरा सुर्मगीं
शाम पड़ते ही दमकते थे जो रंगों के नगीं
दूर तक भी अब कहीं
उस का निशां मिलता नहीं
अब तो बढ़ता आयेगा
घन्घोर बादल चाह का
उस में बहती आयेगी
एक मद्भरी मीठी सदा
दिल के सूने शहर में गूँजेगा नग़्मा चाह का
रात के पर्दे में छुप कर ख़ूँ रुलाती चाहतो
इस क़दर क्यों दूर हो
मुझ से ज़रा ये तो कहो
मेरे पास आकर कभी मेरी कहानी भी सुनो
सिस्कियाँ लेती हवायें कह रही हैं-'चुप रहो'-
बीते दिसंबर की एक सर्द शाम
अपने लबों पर दो उंगलियां रखे
होठों से भाप का धुआं उड़ाते
जैसे किसी ख्याली सिगरेट के कश लगाते
मुझे देखकर वह हंस कर बोली थी सुनो तुम्हें पता तो है ना
मुझे दायरे बनाते हुए धुयें के मरघोले कितने अच्छे लगते हैं
मगर तुम सिगरेट भी नहीं पीते हो तो भला क्या खाक जीते हो
काश तुम्हें यह भोग लगे
किसी जोगन का रोग लगे
फिर तुम्हारी दुआ पूरी हुई
एक और बर्बादी जरूरी हुई
अब मैं धुए में डूबा रहता हूं
खुद ही खुद से रूठा रहता हूँ
अपनी रगों में जमा निकोटीन चुनकर
दिल की राख मिलाता हूं
फिर यादों की सुनहरी पन्नी में लपेट अपने जिगर से सुलगाता हूँ
तुम्हारे हिज्र के धुएँ से गमों के दायरे बनाता हूं
और फिज़ा में उड़ाता हूं
खुद भी सुलगता हूं
जमाने को भी जलाता हूँ
पल-पल खुद को राख बना कर
तुम्हारा गम भुलाता हूं-
There is some comfort in the emptiness of sea. No past, no future.
(Quote of the last samurai)-
My intellect always cheats on me, why?
The master always cheats on the servants.-