आंधियां अगर माफ़ी, मांग भी लें तो क्या।
टूटे पेड़ तो फिर भी, टूटे ही रह जाते हैं।।-
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मोहब्बत तो उसे किसी और से थी लेकिन।
मेरा शिद्दत से चाहना उसको भा ही गया।।-
किन शब्दों में लिखूं, तेरी कमी को मैं।
बस तेरे बिना हर दिन, सूना लगता है।।-
माना ज़िंदा हैं अभी तक, बिछड़ के तुमसे सनम।
फिर भी तेरे ही हैं हम, सातों जनम तेरी कसम।।-
लेखन की दुनियां का, एक अदना सा किरदार हूं मैं
एक से एक धुरंधर यहां पर, इनके आगे बेकार हूं मैं-
कभी कभी यूं होता है, कहना है बहुत पर वक़्त नहीं
कभी कभी यूं लगता है, कहने को अब कुछ बचा नहीं-
जिंदगी के सफ़र में, कुछ दोस्त ऐसे भी चाहिए
जिनको, आप जैसे भी हैं - बस वैसे ही चाहिए-
उल्फ़त की राहें, होती बड़ी मुश्किल
आसां नहीं पाना, इसमें कोई मंज़िल
ख़ामोश हैं हम भी,खामोश हैं वो भी
बेलफ्ज़ इश्क़ है, निगाहें हैं बोलती
इश्क़ में हर सितम, मंज़ूर है हमको
कांटों भरी ये राह है,मालूम है हमको
निभाएंगे हर रस्म-ओ-रिवाज़े मोहब्बत
इश्क़ में आंसू भी, प्यारे हैं अब हमको-
"आतिश-ए-इश्क़"
इस क़दर जले, आतिश-ए-इश्क़ में हम
बेहतर हो गए, रस्म-ए-मोहब्बत में हम
ज़माने में मोहब्बत भी, नीलाम हो गयी
जन्मों की कसमें खाकर, वो गैर हो गए
गुज़रते नहीं हैं उनकी, गली से अब हम
दोस्त अब दुश्मन से भी, बद्तर हो गए
कल तक हमें याद बहुत, आ रहे थे वो
चंद लम्हे आज उन्हें, मयस्सर नहीं हुए-