ऊषा शुक्ला   (©️उषा "रिमझिम")
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Joined 26 July 2021


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Joined 26 July 2021
16 OCT 2023 AT 15:00

जब से उसकी बातों में, हल्कापन झलका है
तब से तबियत यार मेरी, कुछ भारी भारी है

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4 OCT 2023 AT 22:47

एक अजीब सी मोहब्बत थी
हम दोनों के बीच
उसकी अंत हो रही थी
मेरी अनंत

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29 SEP 2023 AT 12:50

जब से तुम संग प्रीत लगाई!
खुद को भूल गयी हूँ साँवरे!!
दिल ये कहीं भी लगता नहीं!
तुम बिन मैं अब कुछ भी नहीं!!
अब तो यूँ होता है हर दिन!
मेरा मन है ख़्याल तुम्हारे!!
तुम आ जाओ तो खिल जाएं!
मन की बगिया के पारिजात!!
महक उठे घर आँगन मेरा!
उमड़ पड़े मन के जज़्बात!!

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25 SEP 2023 AT 13:07

हमसफ़र ऐसा होना चाहिए
जो तुम्हें तुमसे ज़्यादा प्यार करे
तुम्हें तुमसे बेहतर बताए
दूसरों के सामने नीचा न दिखाए
तुम्हारी अच्छाइयां भी सराहे
न कि तुम्हारी सिर्फ कमियां
और गलतियां दोहराए
अपने मन की हर बात बताए
तुम्हारे मन की हर बात सुने
जब कहीं विचार टकराएं
तो बीच का रास्ता निकाले
न कि हर बात में ईगो ले आये
छोटी छोटी बातें नज़रंदाज़ करे
बात बात पर मुंह न फुलाये
रिश्ते की गंभीरता को समझे
और गुस्से में भी आपका ध्यान रखे

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22 SEP 2023 AT 19:03

हर नज़ारा खूबसूरत, नज़र आता है आजकल
ख़्वाबों के समुन्दर में, बुलाने लगा है आजकल

थाम रखा है मेरा दामन, मोहब्बत ने आजकल
ग़ज़ल इश्क़ की हम गुनगुनाने लगे हैं आजकल

एक अनजानी तड़प की गिरफ़्त में हैं आजकल
धड़कनें भी दिल की मेरे बढ़ने लगी हैं आजकल

रहने लगे हैं अब हम भी न जाने किस फ़िराक़ में
कुछ खोए खोए से भी हम, रहने लगे हैं आजकल

पूछते हैं लोग आजकल, बेक़रारी का सबब हमारी
अब कैसे बतायें उनको, हमें इश्क़ हुआ है आजकल

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21 SEP 2023 AT 11:40

हम खुले गगन के पंछी हैं,
हमें कैद करो न पिंजरे में।
हमारी उड़ानें मत रोको,
हमें आसमान में उड़ने दो।
हमें अपने पंख फैलाने दो,
ऊँचा अम्बर छू लेने दो।
कुहुक हमारी चहक हमारी,
वंचित इससे न करो हमें।
कंठों की मधुर ध्वनि को तुम,
नभ की वायु में घुलने दो।
जिस मंजिल की है चाह हमें,
वो मंज़िल हासिल करने दो।
हम खुले गगन के पंछी हैं,
हमें कैद करो न पिंजरे में।

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19 SEP 2023 AT 16:28

चाहते तो हम भी थे
अफ़सोस कि चाहते सभी की
पूरी कहाँ होती हैं

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18 SEP 2023 AT 20:28

तेरे आने की खुशी में, सब कुछ भुला बैठे हैं हम
बड़ी बेसब्री के साथ, तेरा इंतज़ार कर रहे हैं हम

बड़े दिनों के बाद किया है, ये सोलह श्रृंगार पिया
तुम आओगे कब आओगे, बैठा बैठा जाए जिया

कुछ बेचैनी कुछ घबराहट, साँसों की रफ्तार तेज है
चंदा संग तारे भी आये है, करने मुझको तेरे हवाले

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18 SEP 2023 AT 19:54

गजरे में फूल हैं बेला गुलाब के, बालों में गुंथुंगी तेरे ही नाम से!
खुशबू से इनकी महकेगा आँगन, छेड़ेंगी सखियां तेरे ही नाम से!!

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18 SEP 2023 AT 11:30

मीठा-मीठा दर्द सा, हर एक दिल में होता है!
जब किसी को पहली नज़र का, प्यार होता है!!

लब रहते हैं खामोश, बात आंखों से होती हैं!
मिलने की चाहत भी, दिल में गहरी होती है!!

एक अरसे से बंजर थी हमारे, दिल की ये धरती!
फूटा प्रेम का अंकुर, महकी बगिया इस दिल की!!

दिल करता है धक-धक, हर मुलाक़ात के बाद!
भीनी-भीनी खुशबू फैले, ज्यों बरसात के बाद!!

निखर रहा है दिल मेरा, उनसे मिलने के बाद!
सुकूं मिलेगा जब आए, हाथों में उनका हाथ!!

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