UTTAM UJAAGAR   (Uttaम 'उजागर')
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Joined 15 August 2019


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Joined 15 August 2019
16 MAY 2022 AT 6:41

कोई हलचल वाली बात नहीं, सुबह हो गई अब रात नही!
क्यों हुआ और कैसे हुआ, इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं!

टूट गए दो फूल डाली से, एक इधर गया एक उधर गया!
आंधी आई बादल बरसे, एक धरती पर बिखर गया....
एक धूल में देखो सिमट गया..!!

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15 MAY 2022 AT 8:47

"Modern love story "
रिश्ता दिलों का कुछ यूँ बदल गया
लैला के कपड़े तन पे छोटे हो गये
मंजनू का दिल पल में पिघल गया
Whtsapp chatting से शुरू हुई बातें
होने लगी जल्दी जल्दी ही मुलाकातें
Modern प्रेम कहानी शुरू हुई थी ईलू ईलू से
बहुत ही जल्दी खत्म भी हो गई I kill you से

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12 MAY 2022 AT 6:11

तेरे मन की कविता लिखता, अल्फ़ाज़ तुम्हारे होते हैं
कोरे कागज़ पर चलूँ अहिस्ता,पर ख्वाब तुम्हारे होते हैं

तेरे प्यार में जीना सीखा, और न सीखा कुछ भी मैं
मन में देखूँ तस्वीर तुम्हारी,और न देखा कुछ भी मैं

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11 MAY 2022 AT 19:55

ख़्वाबों में बुनता रहा फूल हंसी के
बसा ली हंसी दुनिया प्यार के आईने में
न पता था फलसफा जिंदगी का
क्योंकि अंधेरे में रखा दिल ने
दरख़्त ए दिल टकराये जब निगाहों से
हरे भरे तो हुए महज़ कुछ पल के लिए
शाख से टूट कर बिखरे
वो अपनों से इस कदर बिछड़े
क्योंकि अंधेरे में रखा दिल ने

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11 MAY 2022 AT 19:26


हंसी खुशी के दो पल होते, होती बातें सारी
दो लफ़्ज़ों में लिख देते, कोई कविता प्यारी प्यारी
उम्मीदों का महल बनाते, गले लगाती दुनिया सारी
गीत गजल की महफ़िल सजती, धुन बजती प्यारी प्यारी
हंसी खुशी के दो पल होते, होती बातें सारी

प्यार मोहब्बत इश्क़ का मेला, लगता बारी बारी
इंसान यहाँ होते ऐसे, जिनका बोझ न होता भारी
गली गली में प्यार बांटते, मोती बरसती वाणी
खुशहाली का बाग लगा हो, गुलों से सजती डाली
हंसी खुशी के दो पल होते, होती बातें सारी
दो लफ़्ज़ों में लिख देते, कोई कविता प्यारी प्यारी

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11 MAY 2022 AT 17:24

इश्क़ की महफूज़ दौलत से था हमारा वास्ता
जलजला एक ख्वाब था मुश्किल बड़ा था रास्ता

मैंने कहा तकदीर से, थोड़ी इनायत कर जरा
मुस्कान होंठों से मिले, हो फलसफा ऐसा जरा

और खिलखिलाते ख्वाब हों, तस्वीर हो हस्ती जरा
वो मुड़कर दिखे जिस रास्ते, गुल से भरा हो रास्ता


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11 MAY 2022 AT 16:59

मेरे कैनवास पर कुछ यूँ उतर जाती हो तुम
रातरानी के गुलों सा भूपर बिखर जाती हो तुम
चांदनी रात में तारों की तरह टिमटिमाती हो तुम
इश्क़ की हवा ऐसे चली है, कि अब भी फूलों की तरह खिलखिलाती हो तुम

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11 MAY 2022 AT 16:31

जो मुझे हौसला देती नहीं थी,
एहतियात बरती मगर वो मेरे जेहन में
कुछ ऐसे बसी थी, जो रूख्सत होती नहीं थी
ठान भी मैंने लिया, इस कमी को पूरा किया
जब कोहरा था बादलों में, धुंध फैला था जरा
मैंने लगाई एक ऐसी उडा़न, कि अंजाम तक पहुँचूँ जरा
फिर अचानक बारिश ने लाई नमी थी
अब रही न मुझमें कमी थी!!

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11 MAY 2022 AT 16:13

जिंदगी की ख्वाहिशें, मेरा इंतज़ार करती रही
मैं मुकद्दर की चादर लिए सो गया तो सो गया

वक्त का पहिया घुमाकर फासला भी कर लिया
दर्द को आंसू लिए फिर रो लिया तो रो लिया

न कर्म कुछ दिल से हुआ, न कर चले थोड़े कभी
कायरों सा बोझ होकर, खुदी को ढ़ो लिया तो ढ़ो लिया

घोंसला मेरा बने कब, जब तिनके से धोखा किया
मेघ न बरसे कभी भी, पर वक्त था खो गया तो खो गया

मंजिलों कि कश्तियाँ, मंझधार में डूबी रही
न कभी तरकश चले न कभी भी आंधियां,
मैं मुकद्दर की चादर लिए, सो गया तो सो गया!

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11 MAY 2022 AT 15:16

मुकम्मल थी सादगी तेरी,लो इश्क़ ए फरमाऩ कर दिया मैंने
निगाहों ने किया गुनाह थोड़ा, हुश्न ए दीदार कर लिया मैंने
यारों की महफ़िल सजी कुछ इस तरह, शामों शहर कर दिया मैंने
रूह का रिश्ता फलक़ क्या हुआ, एक दांस्ता को फिर अमर कर दिया मैंने

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