सुबह शाम आठों पहर
वो किसी और से चिपका रहा।
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हर घड़ी उससे लिपटा रहा।
और मैं अनाड़ी इस तरह
फिर भी उसे अपना कहता रहा।
प्यार को पावन बनाने के लिये
बस एक पर ही मरता रहा।।
मगर अब राज सारे
लगभग लगभग खुल चुके हैं।
वो किसी और की बाहों में
हर किसी की तरह घुल चुके हैं।
हां, मेरे हिस्से में दाग था,
हम दाग पाकर रह गए।
आँसुओं के घूट पीकर
गम को खाकर सह गए।।
@उत्तम
-
तुम यूँ ही मुस्कुराया करो।
लौटूँ घर जब मैं थक हार कर,
तुम जुल्फें अपनी संवार कर,
पिछले कमरे से भाग कर,
सीधे मेरे पास आया करो।
तुम यूँ ही मुस्कुराया करो।।
दर्द को मेरे तुम प्यार देकर,
गीत को मेरे गुलज़ार देकर,
होंठ को होंठ का उपहार देकर,
साथ मेरा तुम निभाया करो।
तुम यूँ ही मुस्कुराया करो।।
रात हो या दिन की तपन में,
इस जनम में य उस जनम में,
खुद को देखो गर अनबन में,
दरवाजा मेरा खटखटाया करो।
तुम यूँ ही मुस्कुराया करो।।
उत्तम सिंह
-
उनका दीदार बड़ा मँहगा है।
आजकल प्यार बड़ा मँहगा है।।
शान-ओ-शौकत की दुनिया में,
सच्चा दिलदार बड़ा मँहगा है।।
लाख कहने से भी नहीं सुनता,
पंजाब द यार बड़ा मँहगा है।।
मतलब की इस दुनिया में ईशु,
मेरा किरदार बड़ा मँहगा है।।
@उत्तम-
मुस्कान तुम्हारी कातिल है।
गुजरे पल में जो भी गुजरा,
भूल उसे तुम मस्त रहो।
मेरे मन की है अभिलाषा,
हर दिन हर पल स्वस्थ रहो।
खुशियों के दामन में लिपटो,
पल पल तुम खिल खिल जाओ।
सबको प्यारी मुस्कान तुम्हारी,
इंदु, तुम नित पल ही मुस्काओ।
जब जहाँ कंही भी पड़े जरूरत,
ये शायर हरगिज़ हाज़िर है।
यह कहने से खुद को न रोक सका,
मुस्कान तुम्हारी कातिल है।❤️
@उत्तम
-
मुस्कान तुम्हारी कातिल है।
गुजरे पल में जो भी गुजरा,
भूल उसे तुम मस्त रहो।
मेरे मन की है अभिलाषा,
हर दिन हर पल स्वस्थ रहो।
खुशियों के दामन में लिपटो,
पल पल तुम खिल खिल जाओ।
सबको प्यारी मुस्कान तुम्हारी,
इंदु, तुम नित पल ही मुस्काओ।
जब जहाँ कंही भी पड़े जरूरत,
ये शायर हरगिज़ हाज़िर है।
यह कहने से खुद को न रोक सका,
मुस्कान तुम्हारी कातिल है।❤️
@उत्तम-
दिल में गमों का गुबार उठा है।
फिर भी तिरंगे पर प्यार उठा है।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-
यह बात नहीं तुम बिन कोई और
जीवन में फिर कभी नहीं मिलेगा..
मिल जाएँगे लाखों लोग मगर,
दिल उनके दिल से नहीं मिलेगा..-
माँ-बाप के जने हैं या वैश्यावों के पाप हैं..
कुछ लोग आज मुझसे हो रहे बेनकाब हैं..
शराफ़त मुझसे, मेरे अपनों से बदतमीजी,
दोगले भडुवों के आखिर ये नीचे हिसाब हैं...-
मुझे सीधा समझ,मेरे अपनों पर नजर रखते हैं
अपनी बहन को ये लोग ही बिस्तर समझते हैं..
दोस्त बनते रहे ये दुश्मन मेरे सामने हरगिज..
जुबान मीठी है मगर दिल में जहर रखते हैं..-