Uttam Modi   (Uttam Modi)
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Joined 28 December 2018


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Joined 28 December 2018
14 AUG 2021 AT 17:56

और फिर भुला दिया जाता हूं,
मैं भी, भर चुके घाव की तरह।

राह....
शब्द ज़रा पहाड़ी ताऊ सा बौना रह गया,
पर देखने पर मालूम पड़े कि सालों बीत
जाते है देखते देखते,
और अगर मंजिल मिल जाए तो हम
भूल जाते है बीच के सफ़र को,
और ना मिले तो समझो....

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13 JUL 2021 AT 21:45

तुमको अपने बीच में पाकर
हम सब अभिभूत हुए
किया स्वीकार रिश्ता भाई का
हम अभिमानी खूब हुये।
सदा रहो चिन्मय
चिरजीवी दिन यह युग कर दो
शुभ दिन लौटे यूँ ही
शत शत जन्मदिवस यह जुग जुग हो।

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8 MAY 2021 AT 7:40

तुम लिखते रह गए गुलाब, बगावत कांटो ने कर दी,
जो चुभन थी दिल में उसने, सारी हदे पार कर दी।

मयस्सर न हुए ख्वाब जिनके, आंखों में ही रहे,
इन्होंने भी एक न सुनी, बात सारे जहां में कर दी।

रंग बिरंगी रोशनी भी, जब बेरंग सी लगने लगी,
तम-ए-मन ने चीरकर उजाले अंधेरों की हाहाकार कर दी।

ख़ाक बने फूल गुलिस्ता गम मोहब्बत रुसवाई में,
पुरवाई ने जोर भरकर ख़ाक की भी ख़ाक कर दी।

दूर तक धुंधला है तो, तुम पास आकर कहना ज़रा,
इक झलक देखने की, मैने ख़ुद से ज़ुबान कर दी।

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7 MAY 2021 AT 7:23

तुम गुनगुनाओ एक नगमा, हम रात सजा देंगे,
तुम्हारे सुर में सुर मिलाकर महफ़िल जमा देंगे।

सीखा देती है चाल चलना इश्क़ मोहब्बत राहों में,
हम तेरी बदचाल को भी अपनी तकदीर बना देंगे।

आओ जब भी तुम यहां, एक तस्वीर लेकर आना,
उसी को हम अपना, मंदिर और मस्जिद बना देंगे,

तुम गुनगुनाओ एक नगमा, हम रात सजा देंगे,
तुम्हारी आंखो में ही डूबकर हम जान गंवा देंगे।

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6 MAY 2021 AT 22:33

ग़र तुम खफ़ा हो तो, मेरा कोई कसूर नहीं,
वैसे भी हर एक से तबियत कहा मिलती हैं।

कभी मूरत बनाई है तो कभी चित्र बणी ठणी सा,
पर उनसे भी मोहब्बत की सूरत कहा मिलती हैं।

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6 MAY 2021 AT 12:59

मौसम बे-मौसम भीगता आदमी,
पसीने का हमसफ़र होता आदमी,

सफ़र दर सफ़र किसी का न हुआ,
रोज़ चांद तक भटकता आदमी।

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2 MAY 2021 AT 11:11

सहे हमने, सहे थे महिवाल ने जैसे,
बदल गए सोनी जी, जिए तो जिए कैसे।

चंद कदम मधुशाला पड़ती है राह में,
घूंट वो भी कड़वा है, पिए तो पिए कैसे।

दर्द की दरारों में फंस गये नयनन झरने,
कमबख्त बरसना भी चाहे तो बरसे कैसे।

जुलना चाहे हम भी सबकुछ त्यागकर,
पर ख़ुद को मारकर मिले तो मिले कैसे।

जीह नही जाती रातें, चांद तू रहम कर,
रोशनी से परहेज़ है, अंधेरे में दिखे कैसे।

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1 MAY 2021 AT 18:58

यह तो लहर है हवा से चलने वाली,
इस दिशा की हवा ही बदलनी चाहिए,
चल रही दूसरी लहर थमनी चाहिए।

कब तक मुंह छुपाते फिरेंगे लोग,
अब तो हंसी बत्तीसी दिखनी चाहिए,
चल रही दूसरी लहर थमनी चाहिए।

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30 APR 2021 AT 19:59

नज़र नजारा देखा था, वो बदल न जाएं कहीं,
जो देख रहे हाल फिलहाल, वही रह न जाएं कहीं।

किसी को है किसी को नहीं, यह डर भी हरेक को नहीं,
ज़रा दूरियां रखना, यह डर खौफ बन न जाएं कहीं।

होंगे आप अंगारों पर उछल कूद करने वाले,
जलता ख्याला अपनी ही आंख में गिर न जाएं कहीं।

होशो हवास खो बैठा हैं जमाना इस शहर का,
फूलों से लदे बाग, शमशान हो न जाएं कहीं।

घूमना ही है चौराहे पर तो सपने में जाईयेगा,
भरी बस्ती में उंगलियां, तुम पर उठ न जाएं कहीं।

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18 APR 2021 AT 17:46

यह दुनिया बहुत छोटी हैं,
तुम्हारी रूह से भी छोटी,
इतनी छोटी कि
एक न दिखने वाले
वायरस को भी न समां सकी।

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