Uttam Karn   (Uttam Karn)
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Joined 4 April 2018


Joined 4 April 2018
24 OCT 2021 AT 22:53

बहोत देखे दिल, बर्बाद मुहब्बत में,
कोई गुल तो देख, जो आबाद हो.........

खिलते मुस्कुराते, जो मिल जाए राह में,
कोई दिल हो, जो न मिले तो बेताब हो.........

समय देख देख के, कितनी मुलाकातें ओढ़ी,
खोये रहे किसी रोज, वक़्त बेहिसाब हो........

लाज़िम है, दर्द-ए-राह-ए-मुहब्बत,
जो मुस्कुराहट मिले उन संग,तो कोई बात हो........

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21 OCT 2021 AT 15:32

क्या जानते हो तुम?
पुरुष से भिन्न एक स्त्री को......

एकांत बता सकते हो,
सदियों से अपना घर तलाशती......
एक बेचैन स्त्री को उसके घर का पता......

अगर नहीं.........
तो फिर जानते क्या हो तुम?
"रसोई" और "बिस्तर" के गणित से परे एक स्त्री के बारे में?

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4 AUG 2021 AT 13:31

छोटी-सी ही सही, एक ऐसी "मुलाकात" हो.....
हम हो, तुम हो और "चाय हो".......
फिर हल्की से "बरसात" हो.....

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4 AUG 2021 AT 13:09

सुनो....
तुम्हारा मैं "गुनाहगार" हूँ.......
तुम दुआ दो, बदुआ दो,
ये सब का "हकदार" हूँ......

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21 JUL 2021 AT 11:14

"कोई" होता ही नहीं "मेरा".........
"तु" अपनी ही "मिसाल" ले ले........

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21 JUN 2021 AT 22:00

बहुत खूबसूरत है, ये ख़याल तुम्हारे
इन्हीं ख़यालों में मुझे, खो जाना है.......
न मिल सकें हम, तो क्यों रोऊँ मैं
भीग इन ख़यालों में मुझे, बस तुम्हारा हो जाना है.......

माना,बेचैन हैं, रातें तुम बिन
अधूरी है हर सुबह, अधूरी ज़िन्दगी
तुम्हारे ख़यालों से जोड़, जीना है फिर
फिर मुस्कुराना है........

न साथ तुम पर, ख़्वाब साथ हैं तुम्हारे
इन ख्वाबों,ख़यालों का, मुझे हो जाना है......
ज़िन्दगी से भरे हैं, ख़याल तुम्हारे
भीग इन्हीं में मुझे, मुस्कुराना है......

साथ न दे सको, हर कदम तुम
तुम्हारे इन ख़यालों संग, मुझे कदम मिलाना है........
तुम संग यूँ ही, बढ़ते जाना है
बस यूं ही तुम संग, ज़िन्दगी सजाना हैं.......

और, बस तुम्हारा मुझे हो जाना है
तुम में बस तुम में, खो जाना है.........
साथ दे दो जरा इन, ख़यालों में तुम
मुझे इन ख़यालों में ही, ज़िंदगी को पाना है..........

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9 APR 2021 AT 23:03

मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है
पलकों की उठा-पटक घनघोर कर रही है ।।
सो गया है बीच में जहां ये सारा का सारा
नशीली आँखें कुछ ऐसा ज़ोर कर रही हैं ।।

क्या मजाल झपक लूँ एक पलक तनिक
शून्य सा सुन्न मुझे वो पुरज़ोर कर रही है ।।
गहराइयों में डूबने को आतुर तो हूँ मग़र
आँखें उसके चंद्रबिंदु पर गौर कर रही हैं ।।

बारिश बह रही है और हवा बरस रही है
मदहोशी असर उसकी हरओर कर रही है ।।
भूलभुलैया भी है और है नयनाभिराम वो
आँखों आँखों में रात को भोर कर रही है ।।

'बवाल' हो तो हो, अब किसे फ़िकर यहाँ
मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है ।।

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27 FEB 2021 AT 21:30

काश.......
तेरे इश्क में मैं, "नीलाम" हो जाऊँ......
आखिर बोली तुम लगाओ, तेरे नाम हो जाऊँ......

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30 JAN 2021 AT 16:19

थोड़ा सा "ग़म" हैं......
आज हम खुद-से थोड़ा "कम" हैं......

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29 JAN 2021 AT 13:07

"रंग दुनिया ने दिखाया है निराला....
है अँधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ....

आईना रख दे मेरे हाथ में....
कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूँ"

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