घर खाली है, मन अधूरा है।
सिर्फ अपनी आवश्यकता के हो।
छः हज़ार का पेंट, चार हज़ार की शर्ट, दो हज़ार के जूते,
कितनी गरीब मानसिकता के हो।-
हथेलिओं में पानी लिए कसम-ए-हिफ़ाजत कौन करता,
अगर खुदा ना होता तो खैरियत कौन करता।
मेरे अपने वक़्त से गुजारी गई परिवार की जिंदगी,
फिर पहले मैं ना मरता, तो कौन मरता।
नजर में इक धुँधलाई सी तस्वीर है,मेरे
सफ़ईयत अगर अश्क ना करता, तो कौन करता।
ये तो मेरा रकीब मुझसे रईस था, वर्ना
तुझे मुझसे जुदा कौन करता।
शख्तग़ीरी मैं जो लुटा दिए हो वक़्त अपना,
तुम्हारे सिवाय उनसे बात करता, तो कौन करता।
अपने बेटों के पेट पालने थे, वर्ना
अपने भाइयों से दुश्मनी कौन करता।
ना देख मुझे, ना कह मुझे, ना आंक मुझे, ए ज़माने
मैं अगर गुनाहगार ना होता तो असलियत कौन करता।
सबका लिक्खा-जोखा उनकी बातों में है "उत्कृष्ट"
तुम ना चुप-चाप सुनते, तो कौन सुनता।
हर किसी के दरमियाँ कुछ ना कुछ चलता है "मियां"
वर्ना अपने हालातों पर जीने की तमन्ना कौन करता।
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हथेलिओं में पानी लिए कसम-ए-हिफ़ाजत कौन करता,
अगर खुदा ना होता तो खैरियत कौन करता।
मेरे अपने वक़्त से गुजारी गई परिवार की जिंदगी,
फिर पहले मैं ना मरता, तो कौन मरता।
नजर में इक धुँधलाई सी तस्वीर है,मेरे
सफ़ईयत अगर अश्क ना करता, तो कौन करता।
ये तो मेरा रकीब मुझसे रईस था, वर्ना
तुझे मुझसे जुदा कौन करता।
शख्तग़ीरी मैं जो लुटा दिए हो वक़्त अपना,
तुम्हारे सिवाय उनसे बात करता, तो कौन करता।
अपने बेटों के पेट पालने थे, वर्ना
अपने भाइयों से दुश्मनी कौन करता।
ना देख मुझे, ना कह मुझे, ना आंक मुझे, ए ज़माने
मैं अगर गुनाहगार ना होता तो असलियत कौन करता।
सबका लिक्खा-जोखा उनकी बातों में है "उत्कृष्ट"
तुम ना चुप-चाप सुनते, तो कौन सुनता।
हर किसी के दरमियाँ कुछ ना कुछ चलता है "मियां"
वर्ना अपने हालातों पर जीने की तमन्ना कौन करता।
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सालों तक कमाई हुई दौलत, शौहरत, इज्जत
और बढ़त सिर्फ एक चाल में तबाह हो जाती है
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मेरे अपने वक़्त से गुजारी गई परिवार की जिंदगी,
फिर मैं पहले न मरता तो कौन मरता!-
ऐसे भी मुस्तक़बिल न हो मंज़िल की दस्तक,
कि चाहने वाला न उदास हो सके न खुश रह सके।-
There is a different joy in getting up after falling down a lot.
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Man begins to learn if he closes all the chapter related to excuse and argument.
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There is a chess among us.
You threat one move and possibility to click that threat is 1 over infinity i.e. almost zero for your opponent. It mean you cannot expect that what you had said has gone with correct meaning to other person 💯-