डर( Please read in caption ) -
डर( Please read in caption )
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फिर आज इस दिल को करार आयावो शख्स हम से मिलने इस बार आया,जिसकी यादों में पलटे थे हमने कोरे पन्नेउसके कलम से मेरे नाम का इजहार आया,नजरें तेरी हमेशा की तरह मेरी तरफ ही थींइन नजरों के बीच बेमतलब ही अखबार आया,और हम तो हो चुके थे हर तरह से ही तेरेना जाने क्यों अपने इश्क में संसार आया,थक हार कर ही बैठे थे दिन भर के काम सेवो आया तो लगा जैसे इतवार आया... -
फिर आज इस दिल को करार आयावो शख्स हम से मिलने इस बार आया,जिसकी यादों में पलटे थे हमने कोरे पन्नेउसके कलम से मेरे नाम का इजहार आया,नजरें तेरी हमेशा की तरह मेरी तरफ ही थींइन नजरों के बीच बेमतलब ही अखबार आया,और हम तो हो चुके थे हर तरह से ही तेरेना जाने क्यों अपने इश्क में संसार आया,थक हार कर ही बैठे थे दिन भर के काम सेवो आया तो लगा जैसे इतवार आया...
कभी छप गया किताबों में,कभी मुंह-जुबानी हो गया,कभी किस्सों में सिमटा मैं,तो कभी कहानी हो गया... -
कभी छप गया किताबों में,कभी मुंह-जुबानी हो गया,कभी किस्सों में सिमटा मैं,तो कभी कहानी हो गया...
मुझ से दूर हो कर वो गंगा सी हो गई,उसके छू लेने भर से मैं काशी हो गया..(Full in caption) -
मुझ से दूर हो कर वो गंगा सी हो गई,उसके छू लेने भर से मैं काशी हो गया..(Full in caption)
भटके दर बदर, कई रास्ते बदले, परउसके शहर फिर कभी मेरा जाना न हुआ,उसके बाद फिर किसी से दिल लगाना न हुआ,वो शक्स मेरे लिए कभी पुराना न हुआ... -
भटके दर बदर, कई रास्ते बदले, परउसके शहर फिर कभी मेरा जाना न हुआ,उसके बाद फिर किसी से दिल लगाना न हुआ,वो शक्स मेरे लिए कभी पुराना न हुआ...
मैं जान लूटा दूंगा उस पर,गर, मेहबूब मेरा बस मेरा हो...( Read in caption ) -
मैं जान लूटा दूंगा उस पर,गर, मेहबूब मेरा बस मेरा हो...( Read in caption )
ना जाने क्यों न लोग मेरे वास्ते हुए,ना जाने क्यों न खुशनुमा ये रास्ते हुए..(READ IN CAPTION) -
ना जाने क्यों न लोग मेरे वास्ते हुए,ना जाने क्यों न खुशनुमा ये रास्ते हुए..(READ IN CAPTION)
अब हर रोज इक नौकरी के हो कर जी रहे हैंजिंदगी के हर सुकून को हम खो कर जी रहे हैं..(READ FULL IN CAPTION) -
अब हर रोज इक नौकरी के हो कर जी रहे हैंजिंदगी के हर सुकून को हम खो कर जी रहे हैं..(READ FULL IN CAPTION)
सूख रही हैं उम्मीदें, यूं इंतजार-ऐ-पहर में, कि अब की बार बरसेंगे बादल मेरे शहर में... -
सूख रही हैं उम्मीदें, यूं इंतजार-ऐ-पहर में, कि अब की बार बरसेंगे बादल मेरे शहर में...
रातों की तन्हाई, खामोश रास्तों का सूनापनअकेलेपन की आहट में किसे ढूंढे ये बैरागी मन.. -
रातों की तन्हाई, खामोश रास्तों का सूनापनअकेलेपन की आहट में किसे ढूंढे ये बैरागी मन..