कभी मुलाकात हो मेरे महबूब से तो उसे बताना
तुम्हारे छोड़े हुए को तुम बहुत याद आती हो-
इन तन्हा सिहाय रातों का कर्ज़ चुकाऊंगा में
मेरे महबूब एक दिन तुझे याद आऊंगा में-
कैसे इस दर्द की दवा करे कोई
दर्द ना संभले तो क्या करे कोई..
जैसे में बर्बाद हुआ हूं मोहब्बत में
कोई जान ले तो मोहब्बत ही ना करे कोई-
पता नहीं था उनके लिए इस हद तक गुज़र जाओगी तुम,
जो वादे मुझसे किए उनसे भी मुकर जाओगी तुम,
याद करो तुमने बोला था सिगरेट पिएगा..तो मेरा मरा मुंह देखेगा,
अब में इतनी सिगरेट पियूंगा कि मर जाओगी तुम..!-
तुम्हारे सफर की किसी मंज़िल सा छूट गया हूं में
बिखरा नहीं हूं अभी.... बस टूट गया हूं में-
मस्ज़िद तोड़कर तुम बना तो लोगे मंदिर लेकिन
इस कतलेआम के बाद क्या उसमें राम आयेगा..-
ये सोहरतों की बुलंदियां तुम्हें मुबारक हों दोस्त
आसमानों पे चड़कर तुम जमीं पर रहती तो और बात थी
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तेरे माथे को चूमना , तुझे गले से लगाना
ये सब भी तुझे याद नहीं,
तो भाड़ में जा तू...
तू इस दिल में रहे तेरी औक़ात नहीं-