Utkarsh Baranwal   (#utkarshbaranwal)
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Joined 30 October 2018


Joined 30 October 2018
30 MAR 2022 AT 11:17

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16 DEC 2021 AT 12:01

उसकी हर बात को सीने से लगाए बैठे है
सच कहुँ तो उसे दिल मे छुपाए बैठे है।
एक रात काफ़ी नहीं उसके बाहों मे" !
हम तो ताउम्र साथ देने को सर झुकाए बैठे हैं

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18 SEP 2021 AT 23:57

गम अपने हारने का नही मुझे
गम तो इस बात का है!!!
हराने वाला कोई अपना है

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25 AUG 2021 AT 1:20

कभी आंच तो' कभी हथौड़े की मार को भी सहना पड़ता है!
सोने को भी' ज़ेवर बनने के लिए इस दौर से गुर्जरना पड़ता हैं!

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4 JUL 2021 AT 0:24

शतरंज के खेल को' अब एक नए नज़रिये से देख रहा हूँ!
पहले सीखने के लिए खेलते थे'अब जितने के लिए खेल रहा हूँ"

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6 JUN 2021 AT 13:23

जब मिले हम तुमसे तो यार "एक बार गले से लगा लेना"
ओर मुसल्सल निगाहें मिले जो तुमसे 'तो अतियातन ही सही नज़रे झुका लेना!

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1 MAY 2021 AT 19:16



इश्क़-ए-बाज़ार में मयार देख के आया हूँ'
जो थामे दामन को ता उम्र वो यार देख के आया हूँ'
आप तकलीफ़ से लरज़ते है
"ज़नाब'
मै तकलीफ़ों का संसार देख के आया हूँ!

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3 APR 2021 AT 20:08

अपने हर गम वो इस कदर दफन कर लेती है
मै हाल जो पूछुं उसका, तो बस मुस्कुरा देती है'
ना जाने कोनसा ऐसा मंज़र देखा है! उसने
वरना इस उम्र में सच्ची मोहोब्बत तो कमाल कर देती है!

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28 MAR 2021 AT 19:20

मै अपने वज़ह से आप के चेहरे पे उदासी नहीं देख सकता
ख़ामोश हो जाऊं' ये भी ठीक है
पर आपकी खामोशी नही देख सकता
सब कुछ हार के भी ख़ुशी जाहिर कर दूँ दो पल की
पर आप के चेहरे पे मायूसी नही देख सकता

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22 MAR 2021 AT 21:12

फ़रेब की मिट्टी पर एक प्यार का बीज लगा के लौट आया हूँ
तू देख या न देख तेरे पलको पे अपने ख्वाब सजा के लौट आया हूँ

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