Usha Singh  
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Joined 4 April 2023


Joined 4 April 2023
3 MAY AT 23:50

जीवन के लिए सकारात्मक सोच

अंधेरों में रहकर
उजालों की बात करती हूं....
मन हो दुखी
फिर भी...
सबके सुख का ध्यान
रखती हूं..
ऐ जिंदगी..
कितनी अजीब है तू..
फिर भी मैं तेरा....
इंतजार करती हूं... और
खुशहाल जीवन जीने के
बहाने तलाश करती हूं।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (03/05/2024)

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2 MAY AT 23:24

यादों के बिना

समय का चक्र निरंतर चलता है
बीतता जाता समय यादें बनता है
कुछ बहुत अच्छी तो कुछ बुरी
उम्र बीतने के साथ याद आती है
ये यादें...
कभी बचपन की
स्कूल की यादें,दोस्तों के साथ बिताए समय की
यादें,और भी ऐसी बहुत सी यादें .... कुछ अपनी गलतियों से सीखने की कोशिश ..
ऐसी ही बहुत से यादें
जो मन को खुश करती है और जीने का हौसला देती है ।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (02/05/2024)

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1 MAY AT 23:52

उसकी चाहत में..

रात की आहट में
उसकी चाहत में
सब कुछ लिखना
भूल गए.....
रह गया याद सिर्फ
तुम्हारा वो मुस्कराना
नजरे झुकाना
और धत्त कहकर
वहां से शरमा कर
चले जाना....
हमारा एकटक
देखते रह जाना
उसकी चाहत में ।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (01/05/2024)

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30 APR AT 23:29

दिन महक जायेगा

रात का अंधेरा छांट जाएगा
मन में उजाला बिखर जायेगा
जब बाल मन जैसे .....
निश्छल और निष्पाप हो जायेगा।
तब तेरा दिन महक जायेगा
और जीवन जीने का आनंद आएगा।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (30/04/2024)

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26 APR AT 23:16

दिल में इश्क भरा है..

क्या कमाल की बात है दोस्तो...
कि
डॉक्टर कहता है दिल को संभाल कर रख ...
और
कवि कहता है की दिल को किसी के हवाले कर..
दोनों ही दिल को समझते हैं...
एक इलाज के द्वारा तो दूजा भावनाओं के द्वारा..।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (26/04/2024)

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22 APR AT 23:34

कलम और कविता

ऐ कलम...
कुछ ऐसा लिख
जो खास हो जाय....
गरिमामई शब्दों में वीरों की गाथा लिख
देश सेवा में तत्पर सैनिकों की
कर्तव्यप्रायणता और देशसेवा के बारे में लिख।

रस लिखो... श्रृंगार लिखो...
जन मन के अंतरमन के भाव लिखो
बेबस बच्चों के मन की पुकार लिखो
देश के गरिमामई क्षणों को बखान करो...
ऐ कलम कुछ ऐसा लिख
जिससे हमारा भी सम्मान हो।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (22/04/2024)



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21 APR AT 23:30

रात को लिखने चले थे..

रात के अफसाने होते हैं अनेक
किसी के सच्चे तो किसी के फेक( झूठे)।।

रात के नितांत घोर अन्धकार में
बैठे हैं यादों की अलाव जलाए ।।

स्वरचित रचना
उषा सिंह (21/04/2024)

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19 APR AT 23:13

यादों के अलाव..
बहुत दिन हुए तुम से मिले हुए
लेकिन दिल में तुम्हारी यादों के
अलाव आज भी जल रहे है..
काम की व्यस्तता में फुर्सत नही है
लेकिन यादों को खूब फुर्सत है
दिलो दिमाग में बार बार आने की।
मन के द्वार खटखटाने की।
स्वरचित रचना
उषा सिंह (19/04/2024)

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17 APR AT 23:27

कहते है आंखे बात करती है...

आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कराहट
दूर कर देती है बहुत से दुखों की आहट।।

आंखों की नींद विचारों तथा भावों को उलझा रही है
मीठी सी नींद आंखों में आने की आहट दे रही है।
उषा सिंह
(17/04/2024)

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16 APR AT 22:50

ऐ मन बता..…

तू क्या चाहता है
कभी यह तो
कभी वो मांगता है..
पता नहीं ये मन
क्या क्या चाहता है ...
हवा के जैसे चंचल मत बन
भिक्षुक के जैसे दर दर
मत भटक...
जो करना है वो एक बार ठान ले
जीवन के लक्ष्य को पहचान ले..
नहीं पहचानेगा तो ...
भटकाव निश्चित है।
ऐ मन... दृढ़ संकल्प से
एक निश्चित लक्ष्य प्राप्त करने का
मार्ग प्रशस्त कर..….।
स्वरचित रचना
उषा सिंह ( 16/04/2024)

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