ख्यालों में अक्सर आते हैं हम!
तुम क्या जानो कितना याद करते हैं हम!
दिल मेरा रोता है, आँखें होती नम,
कभी आकर देखना तुम कैसे जीते हैं हम!
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|| मन की अभिलाषा ||
मन की अभिलाषा है मेरी,जीवन भर गाथा गाऊँ।
चाह यही अंबर बन कर मैं, पट विहीन तन ढंक जाऊँ।
मन की चाह अज्ञान तम हर, शिक्षक बन ज्योति जलाऊँ,
है मन की अभिलाषा कल्याणी धरती बन कर भार सहूँ।
बन गयी ब्यूटीशियन भी, अब नया कुछ कर जाऊँ,
चाह है मेरी आर्टिस्ट बनकर, ऊँची उड़ान भरूँ।
बागों का फूल बनकर, सद्गुण सुगंध भरूँ,
चाह यही सूरज बनकर, जगत का अंधकार हरूँ।
लेखिका बन कर एक नयी पहचान मिली सपना साकार हुआ,
अब चाहे भीषण विपदाएँ आकर घेरे, निज आत्मशक्ति से लडूं।
हे ईश्वर! पूरी करना मेरे मन की अभिलाषा को,
मैं दीपक बन कर, घर- घर में उजियार करूँ।-
|| प्रदूषण रहित विश्व ||
शुद्ध रखे वायु को, वायु प्रकृति उपहार,
प्रदूषित किया है इसे, दुर्मति से हुई हार।
हवा विषैली हो जाये, चलो न ऐसी चाल,
बनें प्रकृति के सहयोगी, सृष्टि करे मनुहार।
कहीं धूल भरा कुहासा, कहीं कृत्रिम धुँआ,
कहीं दुर्गंध भरी हवा ने फेफड़े को छुआ।
वायु प्रदूषण फैला पूरे जोर से सताने को,
अब तो हो पर्याप्त कोशिश पर्यावरण बचाने को।
वृक्ष है रखवाले, इनकी गिनती ना घटाओ।
इनसे प्राणवायु लेकर, नमक हरामी ना दिखाओ।
शांति चित नभ में, अशांति ना फैलाओ।
तेज ध्वनि वाले यंत्र, कृपया ना बजाओ।
इसे दूषित होने से, जितना हो सके बचाओ।
तभी बनेगा प्रदूषित रहित विश्व, प्रदूषण को दूर भगाओ।
हम रक्षा कर सके जीवों की, पौधों की, नदियों की और पर्यावरण की,
सब मिलकर ये कसम खाओ, पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ।-
तुम दोनों की जोड़ी लगे कितनी प्यारी,
यूँ ही मुस्कुराते रहे तुम सदा हंसी लगे कितनी प्यारी।-
कोरा काग़ज़ है जिन्दगी, हमें जीवन दान दिया,
जी उठे है अब हम, जबसे लिखना हमें सिखा दिया।
तन्हाई अब खलती नहीं, कोरा काग़ज़ है साथ,
तुमसे हमारा नाता रहे, जिन्दगी भर रहे हम साथ।
था जीवन अधूरा सा, तुमसे मिलकर पुरा हुआ,
कोरा कागज़ पर लिखने लगे, सपना साकार हुआ।
कभी ना कह पायी किसीसे, अपनी मन की बातें,
कोरा काग़ज़ पर लिखकर, कह दी अपनी सारी बातें।
जिन्दगी के सारे रंग उकेर दी, कोरा कागज़ पर,
हर रंग समाये शब्दों में, हर शब्द उतरा कोरा कागज़ पर।
कोरा कागज़ ने हमें, कलम जो पकडा दी,
आज तक ना छुटी, कोरा कागज़ ने जिन्दगी बना दी।
हमेशा साथ मिले कोरा कागज़ का, यही दुआ मांगते हैं,
कोरा काग़ज़ ही जिन्दगी मेरी, यही कहना चाहते हैं।-
सुखी हुई टहनियां भले छाँव नहीं देती है,
पर ये लकड़ी जल के ईंधन से जिंदगी देती है।
ऐसा नहीं है कि जिंदगी ने हमें कुछ दिया ही नहीं,
बहुत कुछ दिया पर किस्मत की बात है हमें मिला नहीं।
जीवन में चाहे कितने भी गमों का साया आये,
तुम हिम्मत मत हारना, चाहे हज़ार मुश्किलें आये।
तुम उलझनों को छोड़कर मंजिल की तलाश करना,
मुड़कर ना देखना पीछे, अपने सपनों को साकार करना।
माना मंजिल इतनी भी आसान नहीं, पर हौसला रखना,
भरोसा खुद पर रखना और वक़्त का इंतज़ार करना।
फिर देखना तुम कामयाबी खुद मिलेगी,
बस तुम मेहनत करना, जिंदगी में फिर से खुशी मिलेगी।-
तुम्हें यूँ खिलखिलाता देख मेरा दिल भी मुस्कुराया है,
तुम यूँ ही हँसती रहो, तुम्हें अपनी नजरों में बसाया है।
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पहचान तुम्हारी अब इस दुनिया से हो जाए,
बढ़ते रहे आगे तो इक दिन तुम्हारा नाम हो जाए।
गुजरे वक़्त की तुम परवाह न कर,
अभी वक़्त है तुम अपनी पहचान कर।
हौसला और हिम्मत से तुम चलना लक्ष्य की राहों में,
फिर फैलाओ अपनी खुशबू इन हवाओं में।
सारा चमन यूँ खुशबूओं से महक जायेगा,
हर फूल मुस्कायेगा, घर-आंगन चहक जायेगा।
जिंदगी को अपनी तरह जीने का गुमान कर,
यही पहचान है तुम्हारी, खुद पर तू नाज़ कर।
सबको खुशी देते चले, सबसे तू प्यार कर,
छू लो आसमान को, ऐसा तू काम कर।-