रात भी तन्हा जागती रही सुबह उजाले के आगोश में सोई! -
रात भी तन्हा जागती रही सुबह उजाले के आगोश में सोई!
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खुशनसीबी बिखेरतेबंद दरवाजे की बेदर्द खमोशियाँ, दर्द आँखों के झरोखों में समेट लेते हैं.. हम तो बिना दस्तक के बेवफाई की आहटें पहचान लेते हैं.. -
खुशनसीबी बिखेरतेबंद दरवाजे की बेदर्द खमोशियाँ, दर्द आँखों के झरोखों में समेट लेते हैं.. हम तो बिना दस्तक के बेवफाई की आहटें पहचान लेते हैं..
लालच की कुर्सी परचरित को मत करो बौनास्वाभिमानी हो तो खड़े रहोआत्मविश्वास को कभी मत खोना -
लालच की कुर्सी परचरित को मत करो बौनास्वाभिमानी हो तो खड़े रहोआत्मविश्वास को कभी मत खोना
परदे के पीछे छुपे रिवाज सेफिर भी एक रिश्ता था उस स्पर्शी आवाज सेअनदेखी सूरत और दिलकश अह्सास अंदाज से.. -
परदे के पीछे छुपे रिवाज सेफिर भी एक रिश्ता था उस स्पर्शी आवाज सेअनदेखी सूरत और दिलकश अह्सास अंदाज से..
हथेली में सजा दोआफताब चाहें ना मिलेपर जुगनू जैसी वजह हो -
हथेली में सजा दोआफताब चाहें ना मिलेपर जुगनू जैसी वजह हो
कभी वर्जित दायरे में प्रवेश ना कर जाओंमाना उजालों से हैं तुम्हारी दोस्ती यारी टूट बिखर कर अन्धेरों में ना सिमट जाओं -
कभी वर्जित दायरे में प्रवेश ना कर जाओंमाना उजालों से हैं तुम्हारी दोस्ती यारी टूट बिखर कर अन्धेरों में ना सिमट जाओं
क्योंकि सीताराम को भी चौदह वर्ष का वनवास मिला था अपनों से और हनुमानजी जैसे परम भक्त भी.. -
क्योंकि सीताराम को भी चौदह वर्ष का वनवास मिला था अपनों से और हनुमानजी जैसे परम भक्त भी..
परन्तु कशमकश की हैं दहलीज़एक द्वंद्व चलता रहता है तहज़ीब सेअजीब सा रिश्ता हैं उस अजीज से -
परन्तु कशमकश की हैं दहलीज़एक द्वंद्व चलता रहता है तहज़ीब सेअजीब सा रिश्ता हैं उस अजीज से
एकादशी अर्पण इन्सान के अन्दर इन्सानियत जिन्दा रहेंप्रभु आप तो निवारण हेतु अवतार लेते हों -
एकादशी अर्पण इन्सान के अन्दर इन्सानियत जिन्दा रहेंप्रभु आप तो निवारण हेतु अवतार लेते हों
जब उल्फत जज्बातों को समझने लगी गूंजता रहा दिल का शोर मौन से लग गई अब उसकी होड़ -
जब उल्फत जज्बातों को समझने लगी गूंजता रहा दिल का शोर मौन से लग गई अब उसकी होड़