वो हाथों में तों था मेरे लेकिन
लकीरों में नहीं था
वो मेरा था लेकिन
मेरी तकदीरों में नहीं था
वो कंगन में तों था मेरे लेकिन
चुड़े में नहीं था
वो पायल में तों था मेरे लेकिन
बिछिया में नहीं था
वो बिंदी में तों था मेरे लेकिन
सिन्दूर में नहीं था
एक शख़्स मेरा होकर भी
मेरा नहीं था
उषा की क़लम 🖋️
-