हमें तो जगह भी बनाना न आया,
कभी पास अपने ज़माना न आया.
ज़माने की रस्मों से लड़ते रहे हम,
मगर जान अपनी बचाना न आया..
हज़ारों की हम दास्तां सुन रहे थे,
कहीं भी हमारा फ़साना न आया.
उर्मिला माधव-
और तभी ख़ामोशियां हैरान कर डालेंगी बस
उर्मिला माधव
हमको कोई फ़िक्र नहीं उन ख़ाबों की..
जिन ख़ाबों से आप लरज़ते फिरते हैं,
उर्मिला माधव-
हम जो मरते तो बड़ी दूर तलक मर जाते,
शह्र के शोर में हर रंग उभर आता है...
उर्मिला माधव-
कितनी लंबी पारी खेली है मैने,
ज़हमत कितनी सारी लेली है मैने
मेरे ग़म का कोई साझेदार नहीं
तनहा हर दुश्वारी झेली है मैंने,
उर्मिला माधव-
ये रब ने हमें पहले बतला दिया था,
तुम्हें हम बिना अक्ल भेजेंगे बेटा
तुम्हें ख़ुद ब ख़ुद जीना मरना है जाके
मगर इम्तिहाँ सारे हम लेंगे बेटा...
उर्मिला माधव-
इस तरह बज़्म में बिठाया है,
जिसमें इज़्ज़त पे हर्फ़ आया है,
उसपे बाज़ार में बुलाके मुझे,
रास्ता दश्त का दिखाया है,
यक़-ब-यक़ याद वो भी हो आया,
कितनी मुश्किल से जो भुलाया है,
मुझको दलदल से जब घिरा देखा,
हर शजर मुझ पे मुस्कुराया है,
ज़ब्त आँखों से छलछला उठ्ठा,
ज़ेरे मिजगां बहुत छुपाया है,
उर्मिला माधव..-
ज़रा सी बात थी वो झूट पर उतर आया,
बला का सच था बड़ी दूर तक नज़र आया,
वो जिसके टूट के गिरने से डर रहे थे सभी,
कमाल ये कि उसी शाख़ पर समर आया...
उर्मिला माधव
Zaraa si baat thii wo jhut par utar aaya,
Balaa ka sach tha badi door tak nazar aaya,
Wo jiske toot kay girne se dar rahe the sabhii,
Kamaal ye ki usii shaakh par samar aaya..
Urmila Madhav-
इसी दुनियां मेँ मैंने कुछ,ग़ज़ब किरदार देखे हैं,
नहीं किस्सा ये एक दिन का,हज़ारों बार देखे हैं,
बहुत हैरत हुई उक्दा अचानक खुल के जो आया,
लब-ओ-लहजा बदलते जब पुराने यार देखे हैं....
उर्मिला माधव.-
हमें प्यार उससे हुआ जा रहा था,
जो मेले में हर्फ़-ए-दुआ गा रहा था,
हुआ मुब्तिला उसमें हर कोई ऐसे,
के आंखों से उसको छुआ जा रहा था,
उर्मिला माधव-