जब ननिहाल गई थी, मम्मी कुछ दिनों के लिए✌
तब आभास हुआ क्या होती है ?
माँ घर के लिए? 🏠
मेरी स्थिति पर व्यंग्य..🤭
देर तक सोने वाली को, 😴
जिम्मेदारी ने जगाया 5 बजे। ⌚
मै तो बेफिक्र होकर बस, खाना- पीना और सोना, 💁♀️
घर मे बड़ी हो, माँ ने कहा था:-सबका अच्छे से ख्याल रखना। 🙆♀️
मम्मी कैसे सबका शांति से ध्यान रख लेती हैं? ये ख्याल आया! 🤔
हम भाई- बहनों मे तो, हर एक बात मे
घमासान युद्ध मच जाता। 🤼♀️
कामों की गठरी को काँधे पर लादे,
माँ ने कभी उफ्फ्फ.. नहीं कहा, 😊
और यहाँ थकान के मारे हाल बेहाल हो गया! 😥
महसूस की तेरी तीखी डांट, और प्यारी मुस्कान, 😘
घर को भी सुननी हैं ,तेरे पूजा -पाठ की आवाज। 📿
किया फोन 📱और कहा:- नहीं लगता मन आपके बिना,
इतना बड़ा घर, 🏩और घर मे सब सुना- सुना।
आप अपना हर एक किरदार
कितना अच्छे से अदा करती हो, 🙇♀️
हाँ माँ.. आप अपना हर फर्ज़ कैसे बखूबी निभाती हो? 😑❣️🤷♀️
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