रेत मैं, फिसल रहा हूँ
हाथ खोल थाम ले मुझे
कुहासा है, बूंद बन टपक रहा हूँ
बह जाऊंगा,
गर सके तो महसूस कर मुझे ।
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Urluck
(luckizurs@urluck)
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Uncertainity
Uno
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Joined 14 October 2017
16 SEP 2022 AT 7:25
15 SEP 2022 AT 23:58
ये जो दुख है, अजीज है
तू ज़ब नही होता, निभाते है साथ मेरा
नशा जानलेवा है, खंजर सुकू लगता है
सियाह होना है, इक जुनु है अब फनाह होना है।
गम सब अजीज है...
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13 APR 2022 AT 8:15
टुकड़ों में मैं, कुछ बिखरे, कुछ संजोए
ठोकर तेरी, सिमटा फिर बिखरने को
मैं भी कहां, किस दस्त पर टूटा
साख की भी कोई जिम्मेदारी थी
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12 MAR 2022 AT 10:22
इक उम्र जीने का यह भी गम है,
अकेला होना पड़ता है,
अपनो को खोना पड़ता है ।
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7 FEB 2022 AT 0:12
मैं कुछ कहता, वो कुछ और ही समझता,
थक गया मैं अब कहता,
समझता कुछ और ही, अब भी वो ।।
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3 FEB 2022 AT 23:23
कुछ मैं घुलता था, मिलता था कुछ वो मुझमें,
दरम्यां दरिया में, मिलते रहे कनारे बनकर ।।
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3 FEB 2022 AT 0:55
जिंदे, मांहिया कल्ला रह गया,
राती तारे गिणदा, बदल पै गया ।
जिंदे, मांहिया कल्ला रह गया ।।-