Upkar gupta   (upkar gupta mahi)
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Joined 15 February 2020


Joined 15 February 2020
5 FEB 2022 AT 13:10

रात ढलने के बाद क्या होगा
दिन निकलने के बाद क्या होगा
सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ
बच निकलने के बाद क्या होगा
ख़्वाब टूटा तो गिर पड़े तारे
आँख मलने के बाद क्या होगा
दश्त छोड़ा तो क्या मिला
घर बदलने के बाद क्या होगा— % &

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5 FEB 2022 AT 13:05

A teacher's job is to take a bunch of live wires and see that they are well-grounded."
— % &

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23 MAY 2021 AT 17:42

🤞🤞🤞

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30 APR 2021 AT 12:41

🙏🏻
*_'अगर ' "जिंदगी" में कुछ 'पाना' है_*
*_तो 'तरीका' बदलो 'इरादा' नही

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23 APR 2021 AT 18:49

जो मेरे हालत है

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23 APR 2021 AT 18:47

मेरी आँखो में जो कमी है बस

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23 APR 2021 AT 18:46

*अभी इक शोर सा उठा है कहीं*
*कोई ख़ामोश हो गया है कहीं*
*है कुछ ऐसा कि जैसे ये सब कुछ*
*इस से पहले भी हो चुका है कहीं*
*आज शमशान की सी बू है यहाँ*
*क्या कोई जिस्म जल रहा है कहीं*
*हम किसी के नहीं जहाँ के सिवा*
*ऐसी वो ख़ास बात क्या है कहीं*
*मैं तो अब शहर में कहीं भी नहीं*
*क्या मेरा नाम भी लिखा है कही*
*मिल के हर शख़्स से हुआ महसूस*
*मुझ से ये शख़्स मिल चुका है कहीं*

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30 MAR 2021 AT 13:14

🍁✨"एक खुश परिवार एक पूर्व स्वर्ग के समान होता है" ✨🍁
🍁" परिवार और मित्र छुपे हुए ख़ज़ाने की तरह होते हैं, जिन्हें संभाल कर रखना चाहिए और उनके गुणों से लाभ लेना चाहिए।”🍁

🍁" हमारे बीच अपने वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, परिवार से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नही होता है।”🍁

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27 MAR 2021 AT 23:43

लूट लिया माली ने उपवन
लूटी न लेकिन गन्ध फूल की
तूफानों तक ने छेड़ा पर
खिड़की बन्द न हुई धूल की
नफरत गले लगाने वालों सब पर धूल उड़ाने वालो

कुछ मुखड़ों की नाराजी से दर्पण नहीं मरा करता है।

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27 MAR 2021 AT 23:39

ज़िन्दगी मिज़ाज से चलती कहा,
रोज मिलतीं अज़नबी साये सी है।।

दरिया चढ़ते है उतर जाते है,
हादसे सारे गुजर जाते है॥

राते जैसी भी हो ढ़ल ही जाती हैं,
जख्म जैसे भी हो भर जाते है॥

कोई मातम नही करता उनका,
पैदा होते हीं जो मर जाते है॥

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