आज के अंधेरों से मत घबराना,
कल यही रोशनी की वजह बनेंगे..!
आज असफल है तो क्या हुआ,
कल सफल भी बनेंगे..!
आज बेनाम है चारदीवारों मे जो,
वो कल अख़बार की खबर बनेंगे..!
तुम कर लो जी तोड़ अंधियारा,
हम नई रोशनी की किरण बनेंगे..!
कर हौसलो को बुलंद अपने,
हम जीवन का नया अध्याय लिखेंगें ।।।-
बदला न अपने आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे !
दुनियाँ न जीत पाओ तो हारो न खुद से
जीवन मे कर गुजरने की ख्वाहिश बनी रहे !
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके करीब रहे बस दूर ही रहे !
गुजरो जो बाग से दुआँ मांगते चलो
जिसमे खिले हो फूल वो डाली हरी रहे..!!
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मान लो भगवान देख रहे हर पल
फिर क्यों है यूं दिखावे की हलचल
अच्छाई तो बस तुम्हारी फ़ितरत का सार है
भला इसमे किसकी नजरो का अधिकार है
जिस दिन नजरो की परवाह खत्म हो जाएगी
उसी रोज से इस आत्मा को शांति मिल जाएगी
खुद को तराशना ही जीवन का अंतिम पड़ाव है
गर मंजिल मिले या न मिले पर अनुभव नदी सा बहाव है...
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यदि आज रूका विश्राम किया
छड़ भर का भी आराम किया
बिना लक्ष्य भेदे यूं लौटा तो
हमने कैसा संग्राम किया...!
क्या इसी दिवस की तृष्णा मे
नीदों का बलिदान किया
बिना विजय की प्राप्ति के
ये कैसा पूर्ण विराम किया...!
यदि मृत्यु मुझे स्वीकार थी तो
कायरता का क्यो सम्मान किया
नेत्रों मे तनिक अभिमान नही
ये तो साहस का अपमान किया..!
यदि छड़ भर भी विश्राम किया तो
फिर कैसा ये संग्राम किया ..!!!
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# शिकायत...बेटी दिवस विशेष... #
आपने चलना सिखाया अपनी लाडली को
जमाना उसे कहता है , ज्यादा दूर न निकल जाना..
अपने लिए बोलने की हिम्मत मिली जिसे आपसे
दुनियाँ से सुनती है, यूं जुबान न चलाना..
जिसके हसते चेहरे से आपके आँखो मे चमक थी
यहां जरूरी है उसका तौर तरीके से मुस्कुराना..
जिस पर कभी आंच न आने दी आपने, उसे कहते है
आवाज़ उठे चाहे हाथ तुम पर, उसे सहकर दिखाना..
पर लगाए थे जो काबिलियत के जो आपने
उन पर लिख रहे है लोग ताने,अब उड़ने न लग जाना..।।।
Happy daughter's day.❤️❤️🙏
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एक कहानी लिख रखी है एक कहानी छोड़ दी
कहीं पर स्याही बिखरी है, कहीं कलम तोड़ दी
हर किरदार समझ प्यारे हर किरदार के दो पहलू
कहीं तो गांठ अड़चन बनी , तो कही रस्सी जोड़ दी
यही समाज अच्छा भी है यही समाज बुरा भी
मां बनाके पूजा किसी न, किसी ने बच्चियाँ निचोड़ दी
कहीं पर औरत औरत है कहीं पर झांसी बन चुकी
कहीं पर घर मे कैद है अभी, कहीं दहलीज तोड़ दी
कैसे इतना आघात किया क्यों ऐसे लोग मिले
बिना रुकसत के यूही, विश्वास की लकीर तोड़ दी
झांक कर देख लिया हमने भी और अब बचा नहीं
गर तबाही शुरू हुई है, तो मैने भी गाड़ी मोड़ दी...!!!
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आज रास्ता बना लिया है
तो कल मंजिल भी मिल जाएगी
हौसलो से भरी मेरी हर कोशिश
एक दिन जरूर रंग लाएगी
कश्तियां डूबती नहीं गोते लगाने से
मेहनत से हर कोशिश मुकम्मल हो जाएगी.!!-
जिंदगी मे हम हर रोज बनते है
कभी बिगड़ते है कभी फिशलते है
वक्त के आईने के साथ हम फिर संभलते है
पर यूही जिंदगी हम पर मेहरबान कहा
इसे गुलिस्ता बनाने के लिए हर रोज काटो पर चलते है...!!-
दीप्ति जीवनजी भारत की पहली महिला ओलम्पियन बन चुकी है जिन्हे बौद्धिक विकलांगता है ।।
जापान मे हो रहे पैरा ओलम्पिक गेम मे उन्होंने 400 mtr
55.07 sec मे पूरी करके गोल्ड अपने नाम किया है..
उनकी इस जीत ने न केवल उनके जीवन को बदल दिया अपितु पूरे समाज की सोच को भी बदल कर रख दिया कि आसाधारण क्षमता से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है..❤️🇮🇳-
जीवन कोई प्रतिस्पर्धा नही है , हमे खुद की दौड़ मे भाग लेना चाहिए , यदि हम दूसरो को कापी करेंगे तो खुद को अवश्य खो देंगे ..हम तब तक सर्वश्रेष्ठ है जब तक हम किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं करते है . हमे इस सत्य को स्वीकार करना है कि हमारे जैसा कोई नही है...!!
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