कमजोर नहीं है लाला बस किसी वजह से शांत बैठे हैं
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*"मिलता तो बहुत है*
*इस जिंदगी में*
*बस हम गिनती उसी की करते हैं*
*जो हासिल न हो सका.."*
हमें सब पता है कहां पर क्या चल रहा है,
नादान और अंजान तो हम जानबूझकर बने हुए है-
अब मुझे भी जरूरत
पड़ने लगी है चश्मे की
लोगों के धोखे अब
ठीक से नजर नहीं आते।-
"कपड़े और चेहरे
अक्सर झूठ बोला करते हैं इंसान की
असलियत तो वक्त ही
बताता है।"-
जरूरी नहीं कुछ गलत करने से ही दुख मिले..
कभी-कभी हद से ज्यादा अच्छे होने की कीमत चुकानी पड़ती हैं!-